मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित, शिप्रा नदी के किनारे बसा - तांत्रिक शक्तियों का केंद्र।
एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग। तांत्रिक पूजा का अधिकार… सिर्फ इन्हें प्राप्त है।
कहते हैं, दैत्यों के संहार हेतु स्वयं शिव ने यहाँ अवतार लिया। यहाँ की रातें मंत्रों से कंपन करती हैं।
प्रातः चार बजे, चिता की राख से होती है आरती। यह जीवन और मृत्यु के बीच की कड़ी है।
धार्मिक, तांत्रिक या साधक… महाकाल सभी को स्वीकार करते हैं – परंतु नियमों के साथ।
मंदिर के नीचे छिपा है “गुप्त तांत्रिक स्थल”, जहाँ केवल साधना की ऊर्जा ही प्रवेश कर सकती है।
ॐ नमः शिवाय या ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्… इनका जाप खोलता है आत्मा के द्वार।
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