Randhan Chhath 2025 kab hai? (Date, Tithi, Muhurat & Pooja-vidhi)

Randhan Chhath 2025 एक बेहद पवित्र और पारंपरिक पर्व है, जिसे मुख्यतः गुजरात और पश्चिम भारत में मनाया जाता है। यह पर्व 14 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा, जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को आता है। यह तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ मानी जाती है, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो घर की समृद्धि, शुद्धता और देवी Sheetala Mata की कृपा के लिए इस व्रत का पालन करती हैं।

इस दिन का मुख्य उद्देश्य होता है अगले दिन की Sheetala Satam 2025 के लिए शुद्ध, सात्विक और ठंडा भोजन तैयार करना। इसलिए इसे “Randhan” (यानि खाना बनाना) और “Chhath” (छठा दिन) के नाम से जाना जाता है। परंपरा के अनुसार, इस दिन रसोई की गहन सफाई की जाती है, मिट्टी के चूल्हे या लकड़ी के स्टोव पर बिना प्याज़-लहसुन के शुद्ध भोजन तैयार किया जाता है, जिसे अगले दिन पूजा और भोग में उपयोग किया जाता है।

Randhan Chhath 2025 का व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है, लेकिन इसका आध्यात्मिक महत्व पूरे परिवार के लिए होता है। यह न केवल स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा देता है, बल्कि घरेलू सौहार्द और समृद्धि की भावना भी पैदा करता है।

इस वर्ष, Randhan Chhath 14 अगस्त को पड़ रहा है, जबकि इसके अगले दिन यानी 15 अगस्त 2025 को Sheetala Satam मनाई जाएगी। अतः इस दिन पकाया गया भोजन अगले दिन माता को चढ़ाया जाता है और उसी भोजन को परिवार द्वारा प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

यह पर्व हमें हमारी संस्कृति, परंपरा और शुद्धता की अहमियत याद दिलाता है।

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Randhan Chhath kya hai? (पर्व का महत्व और परंपरा)

Randhan Chhath एक विशेष धार्मिक पर्व है, जो भारतीय संस्कृति में घर की पवित्रता, स्वच्छता और सात्विक जीवनशैली का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं घर के रसोईघर की गहराई से सफाई करती हैं और अगले दिन की Sheetala Satam के लिए शुद्ध भोजन तैयार करती हैं। इसे “Randhan” यानी खाना बनाना और “Chhath” यानी छठा दिन, इस प्रकार संयुक्त रूप से Randhan Chhath festival कहा जाता है।

यह पर्व सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि जीवनशैली से जुड़ा एक आध्यात्मिक अभ्यास है। रसोई की स्वच्छता को स्वास्थ्य और समृद्धि से जोड़ कर देखा जाता है। यह मान्यता है कि जैसे शरीर को शुद्ध रखने से आरोग्यता बनी रहती है, वैसे ही रसोई की पवित्रता से देवी Sheetala की कृपा प्राप्त होती है।

Importance of Randhan Chhath केवल धार्मिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक भी है। इस दिन महिलाएं पूरी श्रद्धा से पूजा करती हैं और विशेष रूप से मिट्टी के चूल्हे पर बिना प्याज़-लहसुन के सात्विक भोजन पकाती हैं। यह भोजन दूसरे दिन ठंडा हो चुका होता है, जिसे Sheetala Mata को भोग स्वरूप अर्पित किया जाता है। इस दिन पकाया गया भोजन न तो गर्म किया जाता है और न ही दोबारा छुआ जाता है, जिससे शुद्धता बनी रहती है।

What is Randhan Chhath? इसे समझना हो तो कहना होगा यह एक ऐसा पर्व है जो अनुशासन, भक्ति और पारिवारिक सौहार्द का संगम है। इस दिन हर महिला देवी के लिए अपनी पूरी श्रद्धा से रसोई सजाती है, पूजा करती है और अपने परिवार की सुख-शांति के लिए व्रत रखती है।

यह पर्व केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरा परिवार इस परंपरा को निभाने में भागीदार होता है। बच्चे और पुरुष भी इस दिन के महत्व को समझते हुए सहयोग करते हैं, जो एकता और सामूहिकता को दर्शाता है।

Randhan Chhath हमें यह सिखाता है कि भक्ति केवल मंदिरों तक सीमित नहीं होती रसोई भी एक तपस्थली बन सकती है, यदि उसमें शुद्धता और श्रद्धा हो।

Randhan Chhath 2025 Puja Muhurat (पूजन का शुभ समय)

Randhan Chhath 2025 गुरुवार, 14 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले उठकर रसोई की सफाई करते हैं, फिर सूर्य निकलने तक या उससे कुछ पहले ही सारा भोजन बना लिया जाता है। इस भोजन को ही अगली सुबह Sheetala Mata को भोग लगाने के लिए उपयोग किया जाता है।

तिथि और मुहूर्त विवरण:

  • Randhan Chhath Vrat Date: गुरुवार, 14 अगस्त 2025
  • Tithi: Shravan Maas, Krishna Paksha Shashthi (षष्ठी तिथि)
  • Tithi Begins: 13 अगस्त को रात 10:28 बजे
  • Tithi Ends: 14 अगस्त को रात 08:44 बजे
  • Puja Samay (Best time to cook food):
    1. सुबह 4:30 AM से 8:30 AM तक (Brahma Muhurat aur Shubh Choghadiya ke andar)
    2. इस समय रसोई में शुद्धता के साथ भोजन तैयार करना सर्वोत्तम माना जाता है।

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Randhan Chhath Vrat Katha (Religious Story)

Randhan Chhath vrat katha एक ऐसी धार्मिक कथा है जो भक्ति, श्रद्धा और घर की शुद्धता से जुड़ी हुई है। इस कथा का महत्व खासतौर पर गुजरात और राजस्थान की परंपराओं में देखने को मिलता है, जहाँ इसे पूरी श्रद्धा से सुना और साझा किया जाता है।

पुराणों और लोककथाओं के अनुसार, एक समय की बात है एक महिला अपने घर में बहुत गंदगी और अव्यवस्था के बीच भोजन बनाती थी। वह पूजा-पाठ से दूरी बनाकर रखती थी और देवी-देवताओं का अनादर करती थी। एक दिन उसकी रसोई में खाना बनाते समय अचानक चूल्हा जलने से घर में आग लग गई। जब सब कुछ जलकर राख हो गया, तब उसे यह समझ में आया कि रसोई की पवित्रता और देवताओं का सम्मान कितना आवश्यक है।

वह रोती-बिलखती हुई Sheetala Mata के मंदिर गई और अपने पापों के लिए क्षमा माँगी। माता ने उसे दर्शन दिए और कहा, “यदि तुम सच्चे मन से रसोई की शुद्धता रखो, सात्विक भोजन बनाओ, और मुझ पर श्रद्धा रखो, तो मैं तुम्हारे परिवार की रक्षा करूंगी।” उसी दिन से उस महिला ने Randhan Chhath का व्रत रखा और अपने घर को फिर से स्वर्ग बना दिया।

Randhan Chhath ki kahani हमें यही सिखाती है कि भोजन बनाना केवल एक घरेलू काम नहीं, बल्कि एक पवित्र क्रिया है। जब हम मन, वचन और कर्म से शुद्ध होकर भोजन बनाते हैं, तो उसमें देवी की कृपा समाहित हो जाती है।

इस दिन की कथा में यह भी बताया जाता है कि जो महिला पूरे नियमों का पालन करती है जैसे कि बिना प्याज़-लहसुन का खाना बनाना, चूल्हे की साफ-सफाई करना, और पूजा के समय शुद्ध वस्त्र पहनना उसे माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उसके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती, और पूरे परिवार को आरोग्य और समृद्धि का वरदान मिलता है।

Religious story of Randhan Chhath न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि साधारण घरेलू कामों में भी भक्ति और सेवा की भावना जोड़ने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन संभव हैं।

Randhan Chhath Puja Vidhi (Step-by-step puja method)

Randhan Chhath व्रत में पूजा की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पर्व ना सिर्फ रसोई की शुद्धता से जुड़ा है, बल्कि श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजा करने से माँ Sheetala की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन का हर कार्य विशेष नियमों के अंतर्गत होता है। नीचे दिया गया है एक सरल और सम्पूर्ण Randhan Chhath puja vidhi, जिसे हर महिला या परिवार आसानी से अपना सकता है।

पूजा विधि ( केसे और क्या करना चाहिए ?)

1. Subah jaldi uthkar shuddhi karen (प्रभात शुद्धिकरण)
सबसे पहले, व्रती को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ-सुथरे वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद पूरे घर विशेषकर रसोईघर की गहन सफाई की जाती है।

2. Stove aur chulhe ki shuddhi (रसोई की शुद्धता)
इस दिन खासतौर पर मिट्टी के चूल्हे या लकड़ी के स्टोव का उपयोग किया जाता है। गैस चूल्हा भी चलाया जा सकता है, लेकिन उसे पहले अच्छे से साफ करना जरूरी होता है।

3. Bhog banane ki vidhi (भोग की तैयारी)
सभी पकवान बिना प्याज़ और लहसुन के बनाए जाते हैं। भोजन पूरी तरह सात्विक होना चाहिए। गेहूं, चावल, दाल, मीठा पूआ, रोटियां, मूंग दाल का हलवा, और लौकी की सब्ज़ी जैसी चीज़ें बनाई जाती हैं। यह खाना अगले दिन Sheetala Satam पर माता को भोग लगाने के लिए उपयोग किया जाता है।

4. Puja ke liye sthaan tayar karna (पूजा स्थल की तैयारी)
घर के किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की चौकी या पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर Sheetala Mata की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। दीपक जलाएं, फूल, अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी, नैवेद्य आदि सामग्री रखें।

5. Sheetala Mata ki puja (माता की आराधना)
अब माँ शीतला की पूजा करें। हाथ में पुष्प और चावल लेकर व्रत का संकल्प लें। मंत्र बोलें (यदि संभव हो तो), और श्रद्धा पूर्वक आरती करें। पूजा के समय “Om Sheetalayai Namah” मंत्र का जाप किया जा सकता है।

6. Aarti aur prarthana (आरती और प्रार्थना)
आरती के बाद माता से परिवार की रक्षा, आरोग्य और समृद्धि की प्रार्थना करें। व्रत कथा का श्रवण या पाठ भी इस समय किया जा सकता है।

7. Bhojan ko dhak kar rakhna (भोजन को ढककर रखना)
पूजा के बाद सारा भोजन ढककर साफ स्थान पर रख दिया जाता है। इसे अगले दिन बिना गरम किए माता को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।

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Randhan Chhath ke liye kya banate hain? (Special food items)

Randhan Chhath का महत्व केवल पूजा तक सीमित नहीं होता, बल्कि इस दिन बनाए जाने वाले भोजन का भी विशेष स्थान होता है। यह भोजन न केवल माता Sheetala को अर्पित किया जाता है, बल्कि पूरे परिवार द्वारा अगली सुबह यानी Sheetala Satam को प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।

इस दिन केवल सात्विक और शुद्ध भोजन पकाया जाता है। Randhan Chhath food items में कोई भी प्याज़, लहसुन, या बासी सामग्री का उपयोग नहीं होता। खाना पूरी श्रद्धा, नियम और स्वच्छता के साथ बनाया जाता है।

रंधन छठ के दिन क्या-क्या रसोई बनानी चाहिए ?

1. पूरी / रोटली:
गेंहूं के आटे से बनाई गई शुद्ध और घी में तली गई पूरियां सबसे आम व्यंजन होती हैं। कई घरों में बाजरे या ज्वार की रोटियां भी बनाई जाती हैं।

2. लौकी की सब्ज़ी (Dudhi ki sabji):
यह व्रत के दिन की सबसे पवित्र मानी जाने वाली सब्जी है। इसमें साधारण मसाले और टमाटर का उपयोग होता है, पर प्याज़-लहसुन नहीं डाला जाता।

3. मूंग दाल का हलवा:
शुद्ध घी में भुनी हुई मूंग दाल से बना हलवा स्वाद में भी लाजवाब होता है और पूजा के लिए भी उत्तम माना जाता है।

4. मीठा पूआ:
गुड़ या चीनी से बना हुआ पूआ, जो आटे या चावल के आटे से तैयार किया जाता है। यह खासतौर पर बच्चों को बहुत पसंद आता है।

5. सेव-खीर / रवा की खीर:
कुछ घरों में इस दिन दूध और सेवई या रवा से स्वादिष्ट खीर भी बनाई जाती है, जो ठंडी होने पर माता को भोग स्वरूप चढ़ाई जाती है।

6. आलू टमाटर की सूखी सब्ज़ी:
बहुत हल्के मसालों में बनी हुई सूखी सब्ज़ी जो पूरी या रोटली के साथ परोसी जाती है।

7. फलाहार (Seasonal Fruits):
कुछ घरों में ताजे फल भी पूजा में चढ़ाए जाते हैं और भोजन के साथ रखे जाते हैं।

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Vrat ke niyam ( क्या करे और क्या न करे )

Randhan Chhath का व्रत कोई साधारण पर्व नहीं है, बल्कि यह अनुशासन, स्वच्छता और आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ एक विशेष दिन होता है। इस दिन कुछ खास नियम और परहेज़ (taboos) होते हैं, जिन्हें व्रती और परिवार के अन्य सदस्यों को जरूर पालन करना चाहिए। इन नियमों का पालन करने से माता Sheetala की विशेष कृपा प्राप्त होती है और परिवार में स्वास्थ्य व सुख-शांति बनी रहती है।

Randhan Chhath fasting rules:

1. खाना सुबह से पहले ही बना लें:
Randhan Chhath fasting rules के अनुसार, इस दिन खाना सूर्योदय से पहले या अधिकतम सुबह 9 बजे तक बना लेना चाहिए। उसके बाद रसोई में दोबारा प्रवेश नहीं किया जाता।

2. प्याज़-लहसुन का त्याग करें:
पूरे दिन और विशेष रूप से पकवानों में प्याज़ और लहसुन का प्रयोग पूर्ण रूप से वर्जित होता है। सात्विक और शुद्ध आहार ही बनाया जाता है।

3. भोजन को ढककर रखें:
जो भी भोजन इस दिन तैयार किया जाता है, उसे अच्छी तरह ढककर रखना चाहिए ताकि उसमें कोई अशुद्धता न आ सके।

4. अगली सुबह तक भोजन गरम न करें:
What not to do on Randhan Chhath में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि भोजन को दोबारा गर्म करना वर्जित है। यह भोजन अगली सुबह ठंडा ही माता को अर्पित किया जाता है।

5. व्रती को शुद्ध रहना चाहिए:
व्रत करने वाली महिला या व्यक्ति को पूर्ण रूप से साफ वस्त्र पहनने चाहिए और पूजा-पाठ से पहले स्नान जरूरी है।

6. चूल्हे या रसोई को फिर से न जलाएं:
इस दिन एक बार ही खाना पकाया जाता है, और चूल्हे को दोबारा नहीं जलाया जाता। इसलिए आवश्यक है कि सब कुछ एक बार में ही तैयार किया जाए।

रंधन छठ के दिन क्या करे और क्या ना करे?

क्या करे?

  • शुद्ध मन और शांत वातावरण में पूजा करें
  • साफ बर्तन और रसोई का उपयोग करें
  • व्रत कथा और आरती जरूर पढ़ें या सुनें
  • परिजनों को भी नियमों के पालन के लिए प्रेरित करें

क्या न करे?

  • खाना बनाने के बाद दोबारा रसोई में न जाएं
  • टीवी या मोबाइल पर ध्यान न दें पूजा के दौरान
  • व्रत के दिन क्रोध, विवाद या अपशब्दों से बचें
  • बासी या मिलावटी वस्तुओं का उपयोग न करें

Faq’s

Q1: Randhan Chhath aur Sheetala Satam me kya antar hai?

उत्तर: Randhan Chhath वह दिन होता है जब व्रती अगली सुबह Sheetala Mata को चढ़ाने के लिए सात्विक और ठंडा भोजन पहले से बना लेती हैं। जबकि Sheetala Satam, Randhan Chhath के अगले दिन मनाई जाती है, जब माता को पूजा में वही ठंडा भोजन भोग स्वरूप अर्पित किया जाता है।
Randhan Chhath : भोजन पकाने का दिन
Sheetala Satam : पूजा और भोग का दिन

Q2: Randhan Chhath aur Sheetala Satam kab manaye jate hain 2025 me?

उत्तर: Randhan Chhath 2025: 14 August, Thursday
Sheetala Satam 2025: 15 August, Friday

Q3: Kya Randhan Chhath par puja hoti hai?

उत्तर: जी हाँ, Randhan Chhath पर भी रसोई की शुद्धता की पूजा होती है और कुछ लोग माता Sheetala का चित्र या मूर्ति स्थापित कर छोटी पूजा करते हैं। लेकिन मुख्य पूजा Sheetala Satam के दिन होती है।

Q4: Randhan Chhath and Sheetala Satam relation kya hai?

उत्तर: इन दोनों पर्वों का आपसी संबंध बहुत गहरा है। Randhan Chhath व्रत यह सुनिश्चित करता है कि Sheetala Mata को अर्पित किया जाने वाला भोजन पूरी तरह शुद्ध, सात्विक और ठंडा हो। इस कारण Randhan Chhath को Sheetala Mata की पूजा का पहला चरण भी कहा जाता है।

निष्कर्ष

Randhan Chhath केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, यह एक ऐसी परंपरा है जो भारतीय संस्कृति की गहराई, मातृत्व की भावना, और स्वच्छता के महत्व को दर्शाती है। आज के भागदौड़ भरे जीवन में जब हम स्वास्थ्य और मानसिक शांति की तलाश में रहते हैं, तब ऐसे पर्व हमें हमारी जड़ों की ओर ले जाते हैं।

इस दिन माता-बहनें विशेष श्रद्धा से रसोई की सफाई करती हैं, शुद्ध सात्विक भोजन बनाती हैं और पूरे मन से अगले दिन की Sheetala Mata की पूजा की तैयारी करती हैं। यही वह समय होता है जब एक आम रसोईघर, एक पवित्र स्थल का रूप ले लेता है।


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