Durga Chalisa Meaning in Hindi | 40 चौपाइयों का सरल और भावपूर्ण अर्थ

परिचय (Introduction)

Durga Chalisa एक अत्यंत श्रद्धापूर्ण भक्ति गीत है जो माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों और उनके दिव्य कार्यों का विस्तार से वर्णन करता है। इसमें कुल 40 चौपाइयाँ और दो दोहे होते हैं, जिनके माध्यम से माँ के शक्तिशाली और करुणामयी स्वरूप की महिमा गायी जाती है। इस चालीसा में माँ दुर्गा को अन्नपूर्णा, लक्ष्मी, सरस्वती, काली, कालिका और भवानी जैसे कई रूपों में स्मरण किया गया है, जो यह दर्शाता है कि वे सृष्टि की समस्त शक्तियों की अधिष्ठात्री देवी हैं।

भक्तगण इस चालीसा का पाठ संकटों से मुक्ति, मानसिक दृढ़ता, आत्मिक ऊर्जा और देवी की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से करते हैं। यह केवल शब्दों का संकलन नहीं है, बल्कि एक ऐसा साधन है जो मन, आत्मा और शक्ति के बीच एक गहरा जुड़ाव उत्पन्न करता है। Durga Chalisa का पाठ भक्तों के भीतर अद्भुत ऊर्जा का संचार करता है और उन्हें आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है। यह स्तुति माँ दुर्गा के प्रति समर्पण और उनकी अनंत शक्ति का प्रतीक है, जो हर युग में अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।

यह पढ़े: Durga Chalisa Path in Hindi – दुर्गा चालीसा का संपूर्ण पाठ

Durga Chalisa Meaning in Hindi ( 40 चौपाइयों का सरल अर्थ )

॥ दोहा ॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥
अर्थ: माँ को प्रणाम जो सभी को सुख देती है। उस अम्बे माँ को प्रणाम जो सब के दुखों का हरण कर लेती है।

॥ चोपाई ॥

निराकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
अर्थ: हे माँ! आपकी जो ज्योत है वह निराकार अर्थात सिमित न होकर असीम है । यह तीनों जगत में चारों ओर फैली हुई है।

शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
अर्थ: चंद्र के समान चमकने वाला आपका मुख बहुत ही विशाल है। आपके नयन लाल और आपकी भौहें विकराल है।

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
अर्थ: यह रूप माँ को बहुत अधिक जचता है और जो आपके दर्शन कर लेता है उसे परम सुख प्राप्त होता है।

तुम संसार शक्ति लय कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अर्थ: इस संसार में जितनी भी शक्तियाँ है वह आपके अंदर विराजमान है। आप इस संसार का पालन करने हेतु धन और अन्न दोनों प्रदान करती है।

यह पढ़े: Durga Chalisa – संपूर्ण पाठ, अर्थ, लाभ और पूजा विधि

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
अर्थ: अन्नपूर्णा होकर आप इस सरे जग को पालती है। आप अत्यंत सुन्दर है।

प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
अर्थ: जब प्रलय होता है तो आप सबका नाश करती है। आप गौरी रूप है और शिव जी को प्रिय भी।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
अर्थ: योगी और शिव आपका ही गुणगान करते है। ब्रह्मा और विष्णु आपका ही ध्यान करते है।

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥
अर्थ: आपने ही सरस्वती का रूप धारण किया था। आप ही ऋषि और मुनियो के उद्धार के लिए उन्हें सद बुद्धि देती है।

धरा रूप नरसिंह को अम्बा।
प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥
अर्थ: आप खम्बे को चीरते हुए नरसिंह रूप में प्रकट हुई थी।

रक्षा कर प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
अर्थ: हिरण्यकश्यप को स्वर्ग भेज कर अपने ही प्रह्लाद के प्राणो की रक्षा की।

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
अर्थ: आप ही ने लक्ष्मी स्वरूप धारण किया हुआ है और नारायण के अंग में समाई हुई है।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन ॥
अर्थ: सिंधु समुद्र में भी आप ही विराजमान है। आप सगार है दया का , मेरे मन की आस को पूर्ण करे।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
अर्थ: हिंगलाज की भवानी माँ आप ही है। आपकी महिमा अनंत है जिसकी व्याख्या शब्दों में नहीं की जा सकती है।

मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
अर्थ: धूमवती और मातंगी माँ भी आप ही है। आप बगला और भुवनेश्वरी माँ है जो सभी को सुख देती है।

यह पढ़े: Durga Chalisa ke Benefits – लाभ और सावधानियाँ

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
अर्थ: श्री भैरव और सारे जग की तारणहरिणी आप ही है। आप छिन्नमाता का स्वरुप है जो सब के दुखो को हल कर देती है।

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
अर्थ: आप माँ भवानी है और सिंह पर सवार होती है। आपके अगुवाई करने के लिए हनुमान आपके आगे चलते है।

कर में खप्पर-खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजे॥
अर्थ: आप के कर कमलो में तलवार तथा ख़प्पर विराजमान रहता है जिसे देख कर काल भी डर के भाग जाता है।

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
अर्थ: अस्त्र और त्रिशूल आपके पास होते है। जिससे शत्रु का हृदय डर के मारे कापने लगता है।

नगर कोटि में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
अर्थ: नगर कोट में आप विध्यमान है। तीनो लोको में आपका ही नाम है।

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
अर्थ: आपने शुम्भ निशुम्भ जैसे राक्षशों का संहार किया था और असंख्य रक्तबीजो का वध किया।

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
अर्थ: महिषासुर राजा बहुत गर्वी था। जिसके विभिन्न पाप करके धरा को भर रखा था।

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
अर्थ: आपने काली माँ का स्वरुप लेकर उसका उसकी सेना सहित वध कर दिया।

परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अर्थ: जब भी किसी संत पर कोई विपत्ति आयी है तब माँ आपने उनकी सहायता की है।

यह पढ़े: Durga Chalisa Path ki Pooja Vidhi – पाठ विधि और नियम

अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
अर्थ: अमरपुरी और सब लोक आपके कारन ही शोक से बहुत दूर है।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
अर्थ: जवालामुखी में आपकी ज्वाला हमेशा रहती है। और आपको हमेशा ही नर – नारी द्वारा पूजा जाता है।

प्रेम भक्ति से जो यश गावै।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
अर्थ: आपकी यश गाथा का जो भी भक्ति से गायन करता है उसके समीप कभी दुःख या दरिद्र नहीं आता।

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
अर्थ: जिसने भी एकचित होकर आपका स्मरण किया है वो जनम मरण के बंधन से मुक्त हुआ है।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
अर्थ: जोगी सुर नर और मुनि यही पुकार करते है की बिना आपकी शक्तियों के योग संभव नहीं है।

शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
अर्थ: शंकराचार्य ने कठोर तप कर काम और क्रोध पर विजय पायी।

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
अर्थ: प्रतिदिन वह शंकर का ध्यान करते पर आपका स्मरण उन्होंने नहीं किया।

शक्ति रूप को मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
अर्थ: वह शक्ति स्वरुप की महिमा नहीं समझ पाए और जब उनकी शक्ति चली गई तब उन्हें समझ आया।

यह पढ़े: Shiv Krit Durga Stotra – शिव द्वारा रचित दुर्गा स्तोत्र

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
अर्थ: तब आपकी शरण में आ गए और आपकी कीर्ति का गान किया। हे भवानी माँ, आपकी सदैव जय हो।

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
अर्थ: जगदम्बा माँ प्रसन्न हुई और बिना विलम्ब किए आपने उन्हें शक्ति दे दी।

मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
अर्थ: हे माँ! मैं कष्टों से घिरा हुआ हूँ। आपके सिवा मेरे दुःख का विनाश कौन करे?

आशा तृष्णा निपट सतावे।
मोह मदादिक सब विनशावै॥
अर्थ: तृष्णा और आशा मुझे सताते रहते है। मोह और गर्व ने मेरा नाश किया हुआ है।

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
अर्थ: है महारानी माँ! आप मेरे शत्रुओ का नाश कीजिये। मैं एकाग्रित होकर आपका सुमिरन करता हूँ ।

करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥
अर्थ: हे दयालु माता आप आपकी कृपा करो। रिध्धि सिद्धि देकर मुझे निहाल कीजिए।

जब लगि जियउं दया फल पाऊं।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
अर्थ: जब तक में जीवित रहु आपकी दया मुझ पर बानी रहे। और आपकी यश गाथा हमेशा गाता रहूँ।

दुर्गा चालीसा जो नित गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
अर्थ: जो दुर्गा चालीसा का हमेशा गायन करते है। सभी सुख को प्राप्त करते है।

देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्बा भवानी॥
अर्थ: सब जान लेने पर देवीदास आपकी शरण में आया है। है जगदम्बा भवानी कृपा करो।

॥ दोहा ॥

शरणागत रक्षा कर, भक्त रहे निःशंक।
मैं आया तेरी शरण में, मातु लीजिए अंक॥
अर्थ: जो आपकी शरण में आ गया है, उसकी रक्षा आप अवश्य करती हैं, ताकि वह भयमुक्त रहे। हे माँ! मैं भी अब आपकी शरण में आ गया हूँ, कृपया मुझे अपने ममत्वपूर्ण अंक में स्थान दें।

निष्कर्ष (Conclusion)

दुर्गा चालीसा केवल एक पाठ नहीं, यह माँ दुर्गा के चरणों में समर्पण की पूर्ण भावना है। यह हमें यह सिखाती है कि जीवन में संकट कितने भी गहरे क्यों न हों, यदि माँ की कृपा हो तो वह पलभर में नष्ट हो जाते हैं। चालीसा में वर्णित हर चौपाई माँ के किसी न किसी रूप का स्मरण है। इसके नियमित पाठ से मन को शक्ति, आत्मा को स्थिरता और जीवन को आध्यात्मिक दिशा प्राप्त होती है।

माँ दुर्गा की कृपा से यह पाठ हर भक्त को साहस, शांति और सद्बुद्धि प्रदान करे।
जय माता दी।


यह भी पढ़े:

  1. दुर्गा चालीसा – सम्पूर्ण पाठ
  2. दुर्गा चालीसा के लाभ और सावधानियाँ
  3. दुर्गा चालीसा की पूजा विधि
  4. शिव कृत दुर्गा स्तोत्र का अर्थ

Leave a Comment