Shani Chalisa Full Path in Hindi | शनि चालीसा संपूर्ण पाठ

यह लेख उन सभी भक्तों को समर्पित है जो Shani Chalisa का मूल और शुद्ध पाठ केवल दोहा एवं चौपाई के स्वरूप में पढ़ना चाहते हैं, बिना किसी अर्थ, व्याख्या या लाभ संबंधित जानकारी के। शनि चालीसा का पाठ शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए एक अत्यंत प्रभावशाली और लोकप्रिय साधन माना जाता है। यह विशेष रूप से शनिवार के दिन श्रद्धा भाव से पढ़ा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि नियमित रूप से शनि चालीसा का पाठ करने से जीवन में आ रही विभिन्न बाधाएं, कष्ट और शनि से संबंधित दोषों में राहत मिलती है। यह भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करता है और उन्हें नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। शनि देव को न्याय का प्रतीक माना गया है, और उनका स्मरण भक्तों के जीवन में संतुलन, अनुशासन और कर्म के प्रति सजगता लाता है।

इस लेख में केवल शुद्ध पाठ प्रस्तुत किया गया है, जिसमें दोहा और चौपाइयों का पारंपरिक क्रम संजोया गया है। यह पाठ श्रद्धा और नियमपूर्वक पढ़ा जाए तो शनि देव की अनुकंपा सहज ही प्राप्त हो सकती है। नीचे प्रस्तुत है Shani Chalisa Full Path in Hindi

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Shani Chalisa Full Path in Hindi – शनि चालीसा संपूर्ण पाठ

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥

॥ चौपाई ॥

जयति जयति शनिदेव दयाला,
करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै,
माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला,
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके,
हिये माल मुक्तन मणि दमकै ॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा,
पल बिच करें अरिहिं संहारा ॥

कृष्णो, छाया, नन्दन, यम,
कोणस्थ, रौद्र, दुःखभंजन ॥

सौरीमन्द, शनी, दशनामा,
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥

जापर प्रभु प्रसन्न हवें जाहीं,
रंकहुँ राव करें क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होइ निहारत,
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥

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राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो,
कैके हुँ की मति हरि लीन्हयो ॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई,
मातु जानकी गई चुराई॥

लषणहिं शक्ति विकल करिडारा,
मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई,
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥

दियो कीट करि कंचन लंका,
बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा,
चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी,
हाथ पैर डरवायो तोरी ॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो,
तेलहिं घर कोल्हू चलवायो ॥

विनय राग दीपक माँ कीन्हयों,
तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी,
आपहुं भरे डोम घर पानी॥

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तैसे नल पर दशा सिरानी,
भंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई,
पारवती को सती कराई॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा,
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी,
बची द्रोपदी होति उघारी ॥

कौरव के भी गति मति मारयो,
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला,
लेकर कूदि परयो पाताला॥

शेष देव-लखि विनती लाई,
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना,
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी,
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं,
हय ते सुख सम्पत्ति उपजावें॥

गर्दभ हानि करे बहु काजा,
सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डार,
मृग दे कष्ट प्राण संहारे॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवार,
चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा,
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥

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लौह चरण पर जब प्रभु आवैं,
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावें॥

समता ताम्र रजत शुभकारी,
स्वर्ण सर्व सर्वसुख मंगल भारी॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै,
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥

अद्भुत नाथ दिखावें लीला,
करें शत्रु के नशि बलि ढीला ॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई,
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत,
दीप दान दै बहु सुख पावत ॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा,
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥

॥ दोहा ॥

पाठ शनीश्चर देव को, कीहों ‘भक्त’ तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥

निष्कर्ष (Conclusion)

Shani Chalisa का शुद्ध पाठ भावपूर्ण तरीके से करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, कार्य में सफलता, ग्रह दोष से मुक्ति और आत्मबल की प्राप्ति होती है। यह पाठ शनिदेव की भक्ति और कृपा प्राप्त करने का सरल और प्रभावशाली मार्ग है। यह लेख उन श्रद्धालुओं के लिए है जो केवल पाठ करना चाहते हैं बिना अर्थ, लाभ या अन्य जानकारी के, ताकि वे पूरे ध्यान और एकाग्रता से शनिदेव की सेवा में लीन हो सकें।

जय शनिदेव!


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