Navratri Vrat 2025 | 9 दिन की पूजा विधि, कथा और व्रत का रहस्य

भारतवर्ष में नवरात्रि केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति और स्त्रीत्व की आराधना का महान उत्सव है। यह पर्व वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्रि (वसंत ऋतु) और शारदीय नवरात्रि (शरद ऋतु) में मनाया जाता है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है और साधक उपवास, जप, ध्यान, और पूजा द्वारा आत्मिक शक्ति का जागरण करता है।

Navratri Vrat का यह परंपरागत उपवास न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का माध्यम भी है। इस लेख में हम जानेंगे नवरात्रि व्रत की विधि, कथा, महत्व और उससे जुड़ी परंपराओं के बारे में विस्तार से।

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नवरात्रि क्या है? (What is Navratri)

“Navratri” का अर्थ है “नौ रातें”। यह देवी दुर्गा की नौ शक्तियों (नवदुर्गा) की आराधना का पर्व है। हर दिन एक देवी के विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, अधर्म पर धर्म, और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। यह काल शक्ति की उपासना, ध्यान, साधना और आंतरिक परिवर्तन का समय माना जाता है।

नवरात्रि व्रत कैसे रखें? (How to Observe Navratri Vrat)

1. व्रत की शुरुआत – घटस्थापना:

  • नवरात्रि के पहले दिन घर में पवित्र स्थान पर घट (कलश) स्थापना की जाती है।
  • मिट्टी में जौ बोकर उसके ऊपर जल से भरा कलश रखा जाता है।
  • कलश के ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखे जाते हैं।
  • इसी के पास देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है।

2. नियम पालन:

  • व्रत रखने वाला व्यक्ति ब्रह्मचर्य, सात्विकता, मौन और संयम का पालन करता है।
  • दिन में एक बार फलाहार या व्रत भोजन करता है।
  • माता के मंत्रों का जप, दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करता है।

3. अखंड ज्योति:

  • नौ दिनों तक माता के समक्ष अखंड दीपक जलाना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।

4. कन्या पूजन:

  • अष्टमी या नवमी के दिन नव कन्याओं (कंजक) को भोजन करवाया जाता है और उन्हें माता का स्वरूप मानकर पूजन किया जाता है।

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नवरात्रि व्रत कथा (Navratri Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल तीनों लोकों पर अत्याचारी राक्षस महिषासुर का आतंक छा गया। ब्रह्मा, विष्णु और महेश द्वारा दिये गए वरदान के कारण वह अजेय हो गया था। तब तीनों देवताओं की शक्तियों से एक दिव्य शक्ति का जन्म हुआ – माँ दुर्गा, जिनका तेज नौ देवियों में विभाजित हुआ।

माँ दुर्गा ने महिषासुर से नौ रात और दस दिन तक भयंकर युद्ध किया और अंत में दसवें दिन उसका वध कर विजय प्राप्त की। उसी दिन को विजयादशमी (दशहरा) कहा जाता है और पहले नौ दिन नवरात्रि के रूप में मनाए जाते हैं।

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नवरात्रि का महत्व (Religious Significance)

  1. आध्यात्मिक जागरण:
    – यह समय साधना, तप, जप और ध्यान का है।
    – आत्मा की चेतना जागृत होती है।
  2. नारी शक्ति का सम्मान:
    – नवदुर्गा की आराधना से नारी की महिमा का बोध होता है।
    – कन्या पूजन इसी श्रद्धा का प्रतीक है।
  3. पापों का क्षय:
    – दुर्गा सप्तशती में कहा गया है कि नवरात्रि में किया गया जप, दान, ध्यान और उपवास सहस्त्रगुणा फलदायक होता है।
  4. प्रकृति के साथ सामंजस्य:
    – ऋतु परिवर्तन के समय शरीर को शुद्ध करने हेतु उपवास वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी है।

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नौ देवी और उनके स्वरूप (Nine Forms of Durga)

दिनदेवी का नामस्वरूप और विशेषता
1शैलपुत्रीपर्वतराज हिमालय की पुत्री
2ब्रह्मचारिणीतपस्विनी रूप
3चंद्रघंटाशांति व साहस की देवी
4कूष्मांडाब्रह्मांड सृजन करने वाली
5स्कंदमाताकार्तिकेय की माता
6कात्यायनीदानवों का विनाश करने वाली
7कालरात्रिअज्ञान व भय का नाश करती हैं
8महागौरीसौम्यता, शुद्धता का प्रतीक
9सिद्धिदात्रीसिद्धियाँ प्रदान करने वाली

हर दिन की पूजा अलग रंग, भोग और मंत्रों के साथ होती है।

क्या करें – क्या न करें (Do’s & Don’ts During Navratri)

क्या करें:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें
  • व्रत का संकल्प लें और नियम से पालन करें
  • माँ दुर्गा के मंत्र, सप्तशती, कवच, अर्गला, कीलक का पाठ करें
  • प्रतिदिन आरती करें
  • कन्या पूजन करें
  • माता को मनपसंद भोग (खीर, फल, मिश्री) अर्पित करें

क्या न करें:

  • तामसिक भोजन – लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा वर्जित
  • अपवित्र वस्त्र, विचार या व्यवहार
  • दिन में सोना, अपशब्द बोलना, दूसरों की निंदा
  • झूठ बोलना, किसी का अपमान

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विशेष उपाय और फल (Special Remedies and Benefits)

  1. माँ चंद्रघंटा के दिन मिश्री का भोग:
    – दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
  2. महागौरी के दिन सफेद पुष्प अर्पण:
    – विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  3. कात्यायनी देवी के दिन गुप्त रूप से गायों को गुड़ खिलाना:
    – संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  4. अष्टमी या नवमी पर कन्याओं को लाल वस्त्र, दक्षिणा और श्रृंगार सामग्री दान करना:
    – सौभाग्य और दरिद्रता नाशक उपाय माना जाता है।

FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. नवरात्रि में उपवास कितने दिन रखना होता है?

उत्तर: परंपरागत रूप से पूरे नौ दिन उपवास रखा जाता है, लेकिन श्रद्धा अनुसार पहला और अंतिम दिन या दोपहर फलाहार भी किया जा सकता है।

2. क्या पुरुष भी नवरात्रि व्रत रख सकते हैं?

उत्तर: हाँ, पुरुष भी यह व्रत रख सकते हैं। कई साधक संपूर्ण नवरात्रि देवी की उपासना करते हैं।

3. क्या मासिक धर्म में व्रत या पूजा कर सकते हैं?

उत्तर: परंपरागत नियमों के अनुसार इस अवस्था में पूजा से विरत रहना चाहिए, लेकिन मानसिक रूप से स्मरण और मंत्रजप किया जा सकता है।

4. अगर घर में दीपक बुझ जाए तो क्या करना चाहिए?

उत्तर: दीपक को पुनः प्रज्वलित करें, कोई दोष नहीं माना जाता; भावना सर्वोपरि है।

5. अष्टमी और नवमी – किस दिन कन्या पूजन करें?

उत्तर: दोनों ही दिन उपयुक्त हैं। कई स्थानों पर नवमी को अधिक मान्यता प्राप्त है।

निष्कर्ष (Conclusion)

Navratri Vrat केवल व्रत या पूजन नहीं, यह आत्मा का जागरण, स्त्री शक्ति का वंदन, और आध्यात्मिक विजय का पर्व है। यह पर्व सिखाता है कि यदि भीतर भक्ति और संयम का दीप जल जाए, तो अज्ञान, अहंकार और अधर्म जैसी तमोगुणी शक्तियाँ स्वयं नष्ट हो जाती हैं। आइए, इस नवरात्रि हम केवल परंपरा न निभाएं, बल्कि माँ के नौ रूपों को अपने जीवन के नौ गुणों में उतारें शक्ति, शांति, साहस, करुणा, समर्पण, भक्ति, ध्यान, विवेक और विश्वास।


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