- परिचय (Introduction)
- महत्व और धार्मिक महिमा (Importance and Religious Glory of Bhimashankar Jyotirlinga)
- रहस्यमयी कथा या इतिहास (Mysterious Story or History of Bhimashankar Jyotirlinga)
- भक्ति और परंपराएं (Devotion and Traditions)
- आरती और दर्शन समय (Aarti and Darshan Timings Bhimashankar Jyotirlinga)
- स्थान और कैसे पहुँचें (Location and Travel Guide)
- FAQs – दर्शन से जुड़े सामान्य प्रश्न
- निष्कर्ष (Conclusion)
परिचय (Introduction)
महाराष्ट्र के सह्याद्री पर्वतमालाओं की हरियाली और शुद्ध वायुमंडल के बीच स्थित Bhimashankar Jyotirlinga एक ऐसा पवित्र स्थल है जहाँ भक्तों को भगवान शिव की तांत्रिक उपासना के साथ-साथ प्रकृति की दिव्यता का साक्षात अनुभव होता है। यह मंदिर भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में छठे स्थान पर आता है और पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर, भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य के हृदय में स्थित है।
यह शिवधाम केवल एक धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का गंतव्य है। यहाँ की शांत वादियाँ, वन्य जीवों की चहचहाहट और पहाड़ों से बहती मंद धारा सभी मिलकर एक अलौकिक वातावरण रचती हैं, जहाँ मन अपने आप ही ध्यान में स्थिर हो जाता है। Bhimashankar में भगवान शिव की पूजा उनके रौद्र और तांत्रिक रूप में की जाती है, जो साधकों और तपस्वियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
यह स्थान उन श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत प्रिय है जो केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, ध्यान और प्रकृति के साथ एकत्व की अनुभूति प्राप्त करना चाहते हैं। भीमाशंकर धाम वास्तव में ईश्वरीय ऊर्जा और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्वितीय संगम है।
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महत्व और धार्मिक महिमा (Importance and Religious Glory of Bhimashankar Jyotirlinga)
Bhimashankar Jyotirlinga उन पवित्र स्थलों में से एक है जहाँ भगवान शिव ने अपने रुद्र रूप में प्रकट होकर धर्म की रक्षा की थी। मान्यता है कि यह वही स्थान है जहाँ शिव ने राक्षस भीम का वध किया था, जो कुंभकर्ण (रावण के भाई) का पुत्र था। भीम ने घोर तपस्या कर अनेक शक्तियाँ प्राप्त की थीं और फिर उसने अपने अहंकार में भोलेनाथ के भक्तों को सताना शुरू कर दिया। जब उसका अत्याचार बढ़ गया, तब भगवान शिव ने रौद्र रूप धारण कर उसका संहार किया।
इस युद्ध के बाद शिव के शरीर से निकला पसीना एक जलधारा के रूप में धरती पर बह निकला, जिसे आज भीमरथी नदी के नाम से जाना जाता है। इसी कारण इस क्षेत्र को भीमाशंकर कहा गया और यहीं पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई।
यह मंदिर केवल ऐतिहासिक या पौराणिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना के केंद्र के रूप में भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। विशेषकर शिव के तांत्रिक स्वरूप की उपासना के लिए यह स्थल प्रसिद्ध है। रात्रि साधना, रुद्राभिषेक और जप-ध्यान के माध्यम से साधक यहाँ आत्मिक उन्नति और शिव-साक्षात्कार की अनुभूति करते हैं।
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रहस्यमयी कथा या इतिहास (Mysterious Story or History of Bhimashankar Jyotirlinga)
Bhimashankar Jyotirlinga से जुड़ी कथा का वर्णन शिव पुराण, स्कंद पुराण और कुमारसंभव जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। कथा के अनुसार, राक्षस भीम ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर घोर अत्याचार शुरू कर दिए थे। उसने धर्मात्मा लोगों को सताना और देवताओं को पराजित करना आरंभ किया। उसके अत्याचारों से पृथ्वी कांप उठी। तब देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने सह्याद्री पर्वत के इस स्थान पर प्रकट होकर राक्षस भीम का वध किया। उसी क्षण, यहाँ शिवलिंग का प्राकट्य हुआ और यह स्थान भीमाशंकर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इतिहास के अनुसार, भीमाशंकर मंदिर का निर्माण 13वीं से 18वीं शताब्दी के बीच हुआ, जिसमें नागर शैली और हेमाड़पंथी स्थापत्य की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है, अर्थात् वह प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि स्थापत्य कला और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनोखा संगम भी है।
भीमाशंकर का यह पावन धाम आज भी श्रद्धालुओं को शिव की शक्ति, करुणा और न्याय का जीवंत साक्षात्कार कराता है और उनकी आस्था को गहराई प्रदान करता है।
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भक्ति और परंपराएं (Devotion and Traditions)
Bhimashankar Jyotirlinga मंदिर में प्रतिदिन भक्त शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध और चंदन अर्पित करते हैं। यहाँ की पूजा पद्धति पूर्ण रूप से वैदिक और रुद्रपाठ आधारित है।
मुख्य परंपराएं:
- महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण और विशेष रुद्राभिषेक
- श्रावण मास में विशेष सोमवार दर्शन
- रुद्राष्टाध्यायी पाठ
- शिव नवग्रह पूजन और जाप
- पर्यावरण दिवस पर विशेष वृक्षारोपण और अभिषेक
इस मंदिर का वातावरण अत्यंत शांतिपूर्ण और ध्यान साधना के लिए उपयुक्त है।
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आरती और दर्शन समय (Aarti and Darshan Timings Bhimashankar Jyotirlinga)
दर्शन / आरती | समय |
---|---|
काकड़ा आरती | सुबह 5:00 बजे से |
प्रातः दर्शन | सुबह 5:30 बजे से 12:00 तक |
मध्य आरती | दोपहर 2:45 से 3:20 तक |
संध्या दर्शन | दोपहर 2:45 से 7:30 तक |
संध्या आरती | शाम 7:30 बजे से 8:00 तक |
शयन दर्शन | रात्रि 8:00 बजे से 9:30 तक ( मंदिर बंध ) |
विशेष पर्वों पर समय बदल सकता है।

स्थान और कैसे पहुँचें (Location and Travel Guide)
स्थान: Bhimashankar Jyotirlinga Mandir, Khed Taluka, Pune District, Maharashtra – 410509
केसे पहुचे:
- रेल मार्ग: पुणे रेलवे स्टेशन (125 किमी)
- बस अड्डा: पुणे बस स्टेंड ( 125 किमी )
- हवाई मार्ग: पुणे इंटरनेशनल एयरपोर्ट (120 किमी)
- सड़क मार्ग: पुणे, नाशिक, मुंबई से टैक्सी और बसें उपलब्ध
मानसून के समय यह स्थान और अधिक सुंदर हो जाता है।
धर्मशाला व रहने की सुविधा (Stay Options)
- मंदिर ट्रस्ट धर्मशाला: सस्ती, सरल सुविधाएँ
- Forest Guest Houses: महाराष्ट्र वन विभाग द्वारा संचालित
- निजी होटल्स और लॉज: Bhimashankar Hill Station में
- ट्रेकर्स के लिए: Tent और Camping सुविधा
महाशिवरात्रि और श्रावण मास में पूर्व बुकिंग की सलाह दी जाती है।
यह पढ़े: जानिए क्यों शिव ने राक्षस भीम के अंत के लिए लिया रौद्र रूप – Bhimashankar Jyotirlinga Katha
FAQs – दर्शन से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. क्या यहाँ ट्रेकिंग से पहुँचना संभव है?
हाँ, गणेश घाट और शिदगांव से ट्रेकिंग मार्ग अत्यंत प्रसिद्ध हैं।
2. क्या महिला श्रद्धालु गर्भगृह में प्रवेश कर सकती हैं?
हाँ, लेकिन जलाभिषेक विशेष अनुमति से ही किया जाता है।
3. क्या यह क्षेत्र वन्यजीवों से घिरा हुआ है?
भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित है, जहाँ काले सियार (Indian Giant Squirrel) और अन्य जीवों का निवास है।
4. क्या मंदिर दर्शन निशुल्क हैं?
हाँ, सामान्य दर्शन निशुल्क हैं। विशेष पूजा के लिए शुल्क है।
5. क्या यहाँ से एलोरा या शिरडी जाना संभव है?
हाँ, भीमाशंकर से शिरडी 180 किमी और एलोरा 280 किमी की दूरी पर है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Bhimashankar Jyotirlinga वह शिव धाम है जहाँ साधक, यात्री और भक्त तीनों को अपना मार्ग मिलता है। यह स्थान आत्मा को उस शांति की ओर ले जाता है जहाँ केवल “ॐ नमः शिवाय” की ध्वनि है। जो एक बार यहाँ आता है, उसके भीतर से अहंकार, भय और भ्रम मिट जाते हैं और जो बचता है वह है शिव का साक्षात्त अनुभव।
यह भी पढ़े:
- Grishneshwar Jyotirlinga – महाराष्ट्र का अंतिम ज्योतिर्लिंग
- Trimbakeshwar Jyotirlinga – नासिक का त्रिवेणी संगम
- Kedarnath Jyotirlinga – हिमालय का आदि शिव धाम
- Mahakaleshwar Jyotirlinga – उज्जैन का तांत्रिक शिव धाम
- Bhimashankar Jyotirlinga – पौराणिक कथा