Bajrang Baan | हनुमान जी का बजरंगबाण चमत्कारी स्तोत्र जो हर संकट करे दूर

Bajrang Baan हनुमान जी का एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे संकटों से मुक्ति और शत्रु नाश के लिए पढ़ा जाता है। ‘बाण’ यानी तीर, और ‘बजरंग’ यानी हनुमान जी। यह स्तोत्र मान्यता के अनुसार हनुमान जी के शक्तिशाली बाणों के समान सभी बाधाओं और संकटों को भेदने में सक्षम है।

जो व्यक्ति भय, नकारात्मक ऊर्जा, दुश्मनों, कोर्ट केस या किसी अनजानी समस्या से जूझ रहा होता है, उसके लिए Bajrang Baan Path किसी रक्षा कवच से कम नहीं होता। यह स्तोत्र मन, तन और आत्मा को सशक्त बनाता है और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है।

भक्ति धाम आपको बताएगा बजरंग बाण का महत्तव, संपूर्ण पाठ, लाभ और सावधानियाँ ताकि आप इसे पूरी श्रद्धा और सही विधि से अपना सकें।

Bajrang Baan का महत्व

Bajrang Baan को हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का सबसे तीव्र और शक्तिशाली माध्यम माना गया है। यह स्तोत्र केवल साधारण पाठ नहीं, बल्कि एक हर संकटों का संकटमोचन रक्षा कवच है।

क्यों है यह इतना प्रभावशाली:

  • यह स्तोत्र संकटों को तुरंत प्रभाव से दूर करने वाला माना जाता है।
  • कोर्ट केस, शत्रु बाधा, बुरी नजर, टोना-टोटका जैसी समस्याओं में रामदूत हनुमान जी तुरन्त सहायता करते हैं।
  • इसे नियमित रूप से पढ़ने से आत्मबल, साहस और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  • बजरंग बाण में कुछ ऐसे चमत्कारी शब्द हैं जो नकारात्मक ऊर्जा को तुरंत नष्ट कर देते हैं।

किसे पढ़ना चाहिए:

  • जिनका जीवन बार-बार अटक रहा हो या कार्य सिद्ध न हो रहे हों।
  • जिन पर शत्रु हावी हो या कोर्ट-कचहरी में झंझट हों।
  • जिनके जीवन में मानसिक डर, अनजानी चिंता या अज्ञात भय हो।

Bajrang Baan Path in Hindi Lyrics – बजरंगबाण

श्रीराम
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं ।
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं ।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।

-: दोहा :-

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ।।

-: चौपाई :-

जय हनुमन्त सन्त हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज विलम्ब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा ।
सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।।
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा ।
अति आतुर यम कातर तोरा ।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ।।
लाह समान लंक जरि गई ।
जै जै धुनि सुर पुर में भई ।।
अब विलंब केहि कारण स्वामी ।
कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी ।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता ।
आतुर होई दुख करहु निपाता ।।
जै गिरधर जै जै सुख सागर ।
सुर समूह समरथ भट नागर ।।
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले ।
वैरहिं मारू बज्र सम कीलै ।।
गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ ।
महाराज निज दास उबारों ।।
सुनि हंकार हुंकार दै धावो ।
बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो ।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा ।
ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा ।।
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै ।
राम दुत धरू मारू धाई कै ।।
जै हनुमन्त अनन्त अगाधा ।
दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।
पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत है दास तुम्हारा ।।
वन उपवन जल-थल गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
पाँय परौं कर जोरि मनावौं ।
अपने काज लागि गुण गावौं ।।
जै अंजनी कुमार बलवन्ता ।
शंकर स्वयं वीर हनुमंता ।।
बदन कराल दनुज कुल घालक ।
भूत पिशाच प्रेत उर शालक ।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर ।
अग्नि बैताल वीर मारी मर ।।
इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी ।
राखु नाथ मर्याद नाम की ।।
जनक सुता पति दास कहाओ ।
ताकी शपथ विलम्ब न लाओ ।।
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा ।
सुमिरत होत सुसह दुःख नाशा ।।
उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई ।
पाँय परौं कर जोरि मनाई ।।
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता ।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता ।।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल ।
ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ।।
अपने जन को कस न उबारौ ।
सुमिरत होत आनन्द हमारौ ।।
ताते विनती करौं पुकारी ।
हरहु सकल दुःख विपति हमारी ।।
ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा ।
कस न हरहु दुःख संकट मोरा ।।
हे बजरंग, बाण सम धावौ ।
मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ ।।
हे कपिराज काज कब ऐहौ ।
अवसर चूकि अन्त पछतैहौ ।।
जन की लाज जात ऐहि बारा ।
धावहु हे कपि पवन कुमारा ।।
जयति जयति जै जै हनुमाना ।
जयति जयति गुण ज्ञान निधाना ।।
जयति जयति जै जै कपिराई ।
जयति जयति जै जै सुखदाई ।।
जयति जयति जै राम पियारे ।
जयति जयति जै सिया दुलारे ।।
जयति जयति मुद मंगलदाता ।
जयति जयति त्रिभुवन विख्याता ।।
ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा ।
पावत पार नहीं लवलेषा ।।
राम रूप सर्वत्र समाना ।
देखत रहत सदा हर्षाना ।।
विधि शारदा सहित दिनराती ।
गावत कपि के गुन बहु भाँति ।।
तुम सम नहीं जगत बलवाना ।
करि विचार देखउं विधि नाना ।।
यह जिय जानि शरण तब आई ।
ताते विनय करौं चित लाई ।।
सुनि कपि आरत वचन हमारे ।
मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे ।।
एहि प्रकार विनती कपि केरी ।
जो जन करै लहै सुख ढेरी ।।
याके पढ़त वीर हनुमाना ।
धावत बाण तुल्य बनवाना ।।
मेटत आए दुःख क्षण माहिं ।
दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं ।।
पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करै प्राण की ।।
डीठ, मूठ, टोनादिक नासै ।
परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे ।।
भैरवादि सुर करै मिताई ।
आयुस मानि करै सेवकाई ।।
प्रण कर पाठ करें मन लाई ।
अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई ।।
आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै ।
ताकी छाँह काल नहिं चापै ।।
दै गूगुल की धूप हमेशा ।
करै पाठ तन मिटै कलेषा ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारे ।
ताहि कहौ फिर कौन उबारे ।।
शत्रु समूह मिटै सब आपै ।
देखत ताहि सुरासुर काँपै ।।
तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई ।
रहै सदा कपिराज सहाई ।।

-: दोहा :-

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै ।
सदा धरैं उर ध्यान ।।
तेहि के कारज तुरत ही ।
सिद्ध करैं हनुमान ।।

।। इति बजरंग बाण सम्पूर्णम् ।।

Bajrang Baan के लाभ (Benefits of Bajrang Baan)

Bajrang Baan का नियमित पाठ जीवन में सुख समृद्धि चमत्कारी परिवर्तन ला सकता है। यह न सिर्फ आपकी समस्याओं का समाधान देता है, बल्कि आंतरिक शक्ति और आध्यात्मिक संतुलन भी प्रदान करता है।

मानसिक और आत्मिक लाभ:

  • भय, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्थितियों से राहत मिलती है।
  • आत्मबल और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
  • ध्यान और साधना में एकाग्रता आती है।

शारीरिक और ऊर्जा से जुड़े लाभ:

  • शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, आलस्य दूर होता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों का प्रभाव कम होता है।
  • नज़र दोष, भय और अदृश्य बाधाएं दूर होती हैं।

सांसारिक और व्यवहारिक लाभ:

  • कोर्ट केस, शत्रु बाधा, व्यापार में हानि जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  • घर में सुख-शांति और सकारात्मक वातावरण बना रहता है।
  • यात्रा में रक्षा और मार्गदर्शन की अनुभूति होती है।

Bajrang Baan Benefits केवल आध्यात्मिक नहीं बल्कि व्यावहारिक जीवन में भी उतने ही शक्तिशाली हैं। इसे पूर्ण श्रद्धा और नियम से पढ़ने पर हनुमान जी की कृपा जीवन को संकटमुक्त बना देती है।

Bajrang Baan पाठ करते समय सावधानियाँ

Bajrang Baan अत्यंत प्रभावशाली और त्वरित फलदायी स्तोत्र है, इसलिए इसे पढ़ते समय कुछ विशेष सावधानियाँ रखनी अनिवार्य होती हैं:

प्रमुख सावधानियाँ:

  • इसे हल्के में या मनोरंजन के लिए कभी न पढ़ें।
  • पाठ करते समय एकाग्रता और पूर्ण श्रद्धा रखें।
  • शुद्ध स्थान और शुद्ध मन से ही इसका पाठ करें।
  • किसी भी अन्य देवता के स्तोत्र की तरह इसे नियमित और संयमित रूप से करें।
  • अगर आप मानसिक रूप से परेशान हैं तो किसी जानकार गुरु से मार्गदर्शन अवश्य लें।

किन्हें नहीं पढ़ना चाहिए:

  • जो लोग तामसिक जीवन शैली में हों और श्रद्धा न रखते हों।
  • मादक पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों को इसका पाठ नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को अगर मानसिक अस्थिरता हो, तो पहले किसी गुरु से अनुमति लें।

Bajrang Baan एक शक्तिशाली तंत्र की तरह है। यह तभी लाभ देता है जब इसे नियम, निष्ठा और पवित्रता से पढ़ा जाए।

निष्कर्ष (Conclusion)

Bajrang Baan एक ऐसा स्तोत्र है जो हनुमान जी की कृपा को सीधे जीवन में खींच लाता है। यह न केवल आपकी बाधाओं को दूर करता है, बल्कि आपको आत्मबल, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी प्रेरित करता है। संकट, भय, शत्रु या मानसिक तनाव – किसी भी समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के लिए बजरंग बाण जीवन की दिशा बदल सकता है।

यदि आप इसे नियम, श्रद्धा और पवित्रता से पढ़ते हैं तो निश्चित ही आपके जीवन में चमत्कारी बदलाव संभव है। इसे केवल पाठ न मानें, इसे अपनी आस्था का एक मजबूत स्तंभ बनाएं।

हनुमान जी की कृपा सदैव आप पर बनी रहे – यही मंगलकामना है।


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