- महत्व और धार्मिक महिमा (Importance and Religious Glory)
- रहस्यमयी कथा या इतिहास (Mysterious Story or History)
- भक्ति और परंपराएं (Devotion and Traditions)
- आरती और दर्शन समय (Aarti and Darshan Timings Grishneshwar Jyotirlinga)
- स्थान और कैसे पहुँचें (Location and Travel Guide)
- FAQs – दर्शन से जुड़े सामान्य प्रश्न
- निष्कर्ष (Conclusion)
महाराष्ट्र की पवित्र और ऐतिहासिक भूमि पर स्थित Grishneshwar Jyotirlinga औरंगाबाद जिले के वेरुल (एलोरा) गाँव में स्थित है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में अंतिम और अत्यंत श्रद्धा से पूजित स्थल है। यह वह स्थान है जहाँ भक्ति केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि पूर्ण समर्पण और आत्मिक जुड़ाव का प्रतीक बन जाती है। यहाँ भगवान शिव और उनके भक्त के बीच का संबंध अत्यंत भावनात्मक और आध्यात्मिक होता है।
Grishneshwar Mandir का उल्लेख शिव पुराण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है, जहाँ इसे भक्ती और पुनर्जन्म की कथाओं से जोड़ा गया है। कहा जाता है कि एक सच्ची स्त्री की भक्ति और आस्था ने स्वयं महादेव को प्रकट होने के लिए विवश कर दिया था। इस मंदिर की वास्तुकला मराठा युग की शैली में बनी हुई है, जिसमें लाल पत्थरों की बारीक नक्काशी, कलात्मक शिखर और शांत वातावरण मन को मोहित कर लेते हैं।
यह मंदिर न केवल एक ज्योतिर्लिंग का धाम है, बल्कि शिवभक्तों के लिए वह स्थान है जहाँ आत्मा शिव से सीधा संवाद करती है। Grishneshwar दर्शन का अनुभव जीवन में एक बार अवश्य करना चाहिए यह स्थल आस्था, इतिहास और शांति का अद्वितीय संगम है।
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महत्व और धार्मिक महिमा (Importance and Religious Glory)
Grishneshwar Jyotirlinga, जिसे “घुश्मेश्वर” और “ग्रिश्णेश्वर” दोनों नामों से जाना जाता है, भगवान शिव की कृपा और भक्त घुश्मा की भक्ति का अद्वितीय प्रतीक है। यह मंदिर उस कथा से जुड़ा है जहाँ भक्त घुश्मा के समर्पण, सहनशीलता और निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग रूप में वास करने का वचन दिया। यहीं से इस स्थान को “घुश्मेश्वर” कहा जाने लगा।
यह ज्योतिर्लिंग विशेष रूप से इसलिए भी अद्वितीय है क्योंकि यहाँ महिलाओं को शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की पूर्ण अनुमति है, जो सनातन धर्म की समता और श्रद्धा के मूल सिद्धांतों को दर्शाता है। यह मंदिर स्त्री भक्ति और शक्ति के सम्मान का प्रतीक बन चुका है।
Grishneshwar Mandir, महाराष्ट्र के एलोरा की विश्वविख्यात गुफाओं के निकट स्थित है, जिससे यह न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ बन जाता है। श्रद्धालु यहाँ भगवान शिव की कृपा पाने और आत्मिक शांति की खोज में दूर-दूर से आते हैं। यह स्थल भक्ति, संस्कृति और परंपरा का संगम है, जो आज भी श्रद्धालुओं के हृदय में जीवित है।
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रहस्यमयी कथा या इतिहास (Mysterious Story or History)
Grishneshwar Jyotirlinga से जुड़ी एक अत्यंत मार्मिक और रहस्यमयी पौराणिक कथा सनातन भक्ति की पराकाष्ठा को दर्शाती है। कथा के अनुसार, घुश्मा नाम की एक परम शिवभक्त महिला प्रतिदिन 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनकी श्रद्धा से पूजा करती थीं और पूजन उपरांत उन्हें जल में प्रवाहित कर देती थीं। उनका जीवन पूर्णतः भक्ति में लीन था।
लेकिन उनके पति की दूसरी पत्नी, जो घुश्मा की भक्ति और शांति से ईर्ष्यालु थी, एक दिन उनके इकलौते पुत्र की हत्या कर शव को तालाब में फेंक देती है। जब यह बात घुश्मा को पता चलती है, तो वह न तो क्रोधित होती हैं और न ही शोकग्रस्त बल्कि शांत स्वर में केवल इतना कहती हैं, “यह भी शिव की इच्छा है। उन्होंने दिया था, उन्होंने ही ले लिया।”
उनकी इस निश्छल और निष्काम भक्ति से भगवान शिव स्वयं प्रकट होते हैं और उनके मृत पुत्र को जीवनदान देते हैं। घुश्मा के अनुरोध पर भगवान वहीं प्रकट रहते हैं और “घुश्मेश्वर” नाम से पूजित होते हैं। यही स्थान आज Grishneshwar Jyotirlinga के रूप में जाना जाता है – जो भक्ति, तपस्या और क्षमा की अमर गाथा है।
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भक्ति और परंपराएं (Devotion and Traditions)
Grishneshwar Jyotirlinga में श्रद्धालु जलाभिषेक, बेलपत्र, दूध और गंगाजल अर्पित कर शिव का पूजन करते हैं। यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहाँ महिलाएं भी शिवलिंग को स्पर्श कर सकती हैं और पूजा कर सकती हैं।
यहाँ की प्रमुख परंपराएं हैं:
- रुद्राभिषेक व महामृत्युंजय जाप
- श्रावण सोमवार विशेष दर्शन
- महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण और भजन संध्या
- जल यात्रा और शिव बारात आयोजन
मंदिर का वातावरण अत्यंत शांत, आध्यात्मिक और भक्तिपूर्ण होता है, जहाँ हर श्रद्धालु को आत्मिक सुख की अनुभूति होती है।
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आरती और दर्शन समय (Aarti and Darshan Timings Grishneshwar Jyotirlinga)
दर्शन / आरती | समय |
---|---|
मंगला आरती | सुबह 4:00 बजे से |
प्रातः दर्शन | सुबह 4:00 से 12:00 बजे |
महाप्रसाद | दोपहर 12:00 बजे |
संध्या दर्शन | दोपहर 12:30 से 7:30 तक |
संध्या आरती | शाम 7:30 |
शयन आरती | रात्रि 10:30 बजे ( मंदिर बंध ) |
विशेष पर्वों पर समय में परिवर्तन हो सकता है। ट्रस्ट की वेबसाइट पर अद्यतन जानकारी देखें।

स्थान और कैसे पहुँचें (Location and Travel Guide)
स्थान: Grishneshwar Temple, Verul, Aurangabad, Maharashtra – 431102
केसे पहूचे:
- रेलवे स्टेशन: Aurangabad Railway Station (38 किमी)
- बस अड्डा: Aurangabad Central Bus Stand (28 किमी)
- हवाई अड्डा: Aurangabad Airport (35 किमी)
- सड़क मार्ग: औरंगाबाद से टैक्सी, बस, या कैब द्वारा एलोरा होते हुए मंदिर तक पहुँचा जा सकता है
धर्मशाला व रहने की सुविधा (Stay Options)
- मंदिर ट्रस्ट धर्मशाला: सस्ती और स्वच्छ
- राज्य पर्यटन विश्राम गृह (MTDC Guest House)
- निजी होटल्स: Hotel Kailas (एलोरा), Hotel Janki Executive (औरंगाबाद)
- भोजन व्यवस्था: पास में शुद्ध शाकाहारी भोजनालय उपलब्ध
भीड़ के समय अग्रिम बुकिंग की सलाह दी जाती है।
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FAQs – दर्शन से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. क्या महिलाएं शिवलिंग को स्पर्श कर सकती हैं?
हां, Grishneshwar Jyotirlinga ऐसा एकमात्र स्थल है जहाँ महिलाओं को शिवलिंग पर अभिषेक की अनुमति है।
2. क्या मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति है?
नहीं, गर्भगृह के अंदर फोटोग्राफी प्रतिबंधित है।
3. क्या मंदिर दर्शन के लिए कोई शुल्क है?
नहीं, सामान्य दर्शन निशुल्क है। विशेष पूजन हेतु निर्धारित शुल्क है।
4. यात्रा का सर्वश्रेष्ठ समय क्या है?
अक्टूबर से मार्च तक का समय यात्रा के लिए उपयुक्त है। श्रावण और महाशिवरात्रि पर्व विशेष रूप से लोकप्रिय हैं।
5. क्या एलोरा गुफाएँ भी पास में हैं?
हाँ, एलोरा की विश्व प्रसिद्ध गुफाएँ मंदिर से केवल 1 किमी दूर हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
Grishneshwar Jyotirlinga केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और त्याग की पराकाष्ठा का प्रतीक है। यहाँ आकर यह अनुभव होता है कि सच्ची भक्ति में शक्ति है, और शिव उसी के सामने नतमस्तक होते हैं जो संपूर्ण समर्पण करता है।
यह मंदिर महिला सम्मान, भक्ति की निस्वार्थता और शिव की कृपा का ऐसा संगम है जिसे जीवन में एक बार अवश्य देखना चाहिए।
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