- परिचय (Introduction)
- महत्व और धार्मिक महिमा (Importance and Religious Glory)
- Srisailam की रहस्यमयी कथा या इतिहास (Mysterious Story or History)
- भक्ति और परंपराएं (Devotion and Traditions)
- आरती और दर्शन समय (Aarti and Darshan Timings Mallikarjuna)
- स्थान और कैसे पहुँचें (Location and Travel Guide)
- FAQs – दर्शन से जुड़े सामान्य प्रश्न
- निष्कर्ष (Conclusion)
परिचय (Introduction)
आंध्र प्रदेश की पवित्र पहाड़ियों में, नल्लमाला वनों की गोद में बसे श्रीशैलम में स्थित Mallikarjuna Jyotirlinga एक ऐसा तीर्थस्थल है जहाँ शिव और शक्ति एक साथ पूजे जाते हैं। यह मंदिर केवल भव्य स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण नहीं, बल्कि उस जीवंत आस्था का केंद्र है जो सनातन धर्म के हृदय में सदियों से धड़कती रही है।
यहाँ पहुँचते ही जो शांति, भक्ति और श्रद्धा की अनुभूति होती है, वह शब्दों में बयां करना कठिन है। सागर जैसा गूंजता शिव नाम, घंटियों की ध्वनि और दीपों की ज्योति मिलकर एक ऐसी अनुभूति देते हैं जो भक्त के मन को भीतर तक स्पर्श करती है।
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महत्व और धार्मिक महिमा (Importance and Religious Glory)
श्रीशैलम स्थित Mallikarjuna Jyotirlinga, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है, परंतु इसकी विशेषता यह है कि यह स्थल शक्ति पीठ भी है। माता सती के कर्णमूल के गिरने के कारण यह स्थान भ्रामरांबा शक्तिपीठ के रूप में भी पूजित है।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से ही पापों का क्षय होता है और आत्मा को शिव की निकटता का आशीर्वाद मिलता है। पुराणों में वर्णन है कि इस स्थल की महिमा तीनों लोकों में विख्यात है। आदि शंकराचार्य ने भी इस मंदिर की महत्ता को अपने स्तोत्रों में गाया है।
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Srisailam की रहस्यमयी कथा या इतिहास (Mysterious Story or History)
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्र कार्तिकेय को मनाने के लिए Srisailam आए थे। यहां भगवान कार्तिकेय ने अपनी तपस्या के बल पर शिव के दर्शन प्राप्त किए। तभी से शिव और शक्ति ने इस स्थान को अपना स्थायी निवास बना लिया।
इतिहास के पन्नों में भी यह मंदिर अनेक राजाओं द्वारा संरक्षित और समृद्ध बताया गया है। सातवाहन, चालुक्य और विजयनगर साम्राज्य के शासकों ने यहाँ भव्य स्थापत्य निर्माण कराए। मंदिर की दीवारों पर बनीं नक्काशियाँ, कथा-कहानी की मूर्तियाँ और शिखर की उँचाई दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
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भक्ति और परंपराएं (Devotion and Traditions)
यहाँ प्रतिदिन शिव अभिषेक, रुद्रपाठ, लघुरुद्र और महामृत्युंजय जाप होते हैं। श्रद्धालु बेलपत्र, जल, दूध और चंदन अर्पित करते हैं और भक्ति भाव से शिव की आराधना करते हैं।
माता भ्रामरांबा की पूजा सप्तशती पाठ और दीपदान से होती है। नवरात्रि में यहाँ नौ कन्याओं की पूजा और विशेष हवन किए जाते हैं। महाशिवरात्रि के पर्व पर मंदिर रात्रि भर भक्तों से भरा रहता है। यह वह समय होता है जब भक्त तन, मन और आत्मा से केवल एक ही नाम जपते हैं हर हर महादेव।
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आरती और दर्शन समय (Aarti and Darshan Timings Mallikarjuna)
आरती / दर्शन | समय |
---|---|
मंगला आरती | सुबह 5:30 बजे |
प्रातः दर्शन | सुबह 4:30 – दोपहर 11:45 |
मध्याह्न आरती | दोपहर 12:00 बजे |
संध्या दर्शन | 3:00 – 10:00 बजे |
संध्या आरती | शाम 7:00 बजे |
शयन आरती | रात 9:00 बजे |
Mallikarjuna Jyotirlinga विशेष अवसरों पर यह समय मंदिर प्रशासन द्वारा बदला जा सकता है, इसलिए वेबसाइट पर जानकारी पहले से देखना उचित रहेगा।

स्थान और कैसे पहुँचें (Location and Travel Guide)
स्थान: Mallikarjuna Jyotirlinga Temple, Srisailam, Andhra Pradesh – 518101
कैसे पहुँचें:
- रेलवे स्टेशन: Markapur Road (85 किमी दूर)
- बस अड्डा: Srisailam Bus Stand (पास में ही 1km)
- एयरपोर्ट: Hyderabad Rajiv Gandhi Airport (लगभग 196 किमी दूर)
- सड़क मार्ग: हैदराबाद, कर्नूल, नांदेड़ और विजयवाड़ा से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
धर्मशाला व रहने की सुविधा (Stay Options)
Mallikarjuna Jyotirlinga मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए ट्रस्ट द्वारा संचालित धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं जहाँ रजिस्ट्रेशन बहुत सहज प्रक्रिया से हो जाता है।
सुविधा:
- Haritha Hotel (AP Tourism) – पर्यटकों के लिए सुविधाजनक
- Ganga Sadan, Punnami Guest House – निजी होटल विकल्प
- सुविधाएं: स्वच्छ कमरे, शुद्ध जल, शाकाहारी भोजन, और 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था
विशेष त्योहारों पर भीड़ अधिक होती है, अतः अग्रिम बुकिंग अत्यंत आवश्यक है।
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FAQs – दर्शन से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. क्या महिलाएं गर्भगृह में प्रवेश कर सकती हैं?
नहीं, परंपरानुसार केवल पुरुष भक्त ही शिवलिंग पर जलाभिषेक कर सकते हैं। महिलाएं मुख्य द्वार से दर्शन कर सकती हैं।
2. क्या शिव और शक्ति के मंदिर साथ हैं?
हाँ, भगवान Mallikarjuna और देवी भ्रामरांबा का मंदिर एक ही परिसर में स्थित है।
3. क्या यहाँ ऑनलाइन बुकिंग संभव है?
हाँ, विशेष पूजन और आवास के लिए srisailamonline.com पर सुविधा उपलब्ध है।
4. क्या मंदिर दिनभर खुला रहता है?
नहीं, दोपहर 1 से 3 बजे तक मंदिर बंद रहता है। अन्य समय दर्शन उपलब्ध हैं।
5. यात्रा का श्रेष्ठ समय कब है?
अक्टूबर से मार्च तक का मौसम अत्यंत सुखद होता है। महाशिवरात्रि पर दर्शन का विशेष महत्व है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Mallikarjuna Jyotirlinga वह स्थान है जहाँ भक्ति, शक्ति और शिवत्व का समागम होता है। यह धाम न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि आत्मा की उन्नति का मार्ग भी है।
जो भक्त यहाँ आकर शिव का ध्यान करता है, वह भीतर से शुद्ध हो जाता है। यह धाम केवल एक स्थान नहीं, बल्कि एक अनुभूति है, जो जीवन भर मन में बसी रहती है।
यदि आपने अब तक श्रीशैलम नहीं देखा है, तो यह तीर्थ आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।
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