- परिचय (Introduction)
- महत्त्व और धार्मिक महिमा (Importance and Religious Glory)
- रहस्यमयी कथा या इतिहास (Mysterious Story or History of Nageshwar Jyotirlinga)
- भक्ति और परंपराएं (Devotion and Traditions of Nageshwar Jyotirlinga)
- आरती और दर्शन समय (Aarti and Darshan Timings Nageshwar Jyotirlinga)
- स्थान और कैसे पहुँचें (Location and How to Reach)
- FAQs – दर्शन से जुड़े सामान्य प्रश्न
- निष्कर्ष (Conclusion)
परिचय (Introduction)
गुजरात की पवित्र धरती पर, समुद्र की लहरों से सजी द्वारका नगरी के समीप स्थित है Nageshwar Jyotirlinga, जो भगवान शिव के नागस्वरूप की दिव्य महिमा का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है और शिवभक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है। यहाँ शिव को “नागेश्वर” अर्थात् नागों के स्वामी के रूप में पूजा जाता है, जो बुराई से रक्षा करने वाले रक्षक देव के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
मंदिर का वातावरण अत्यंत शांत, आध्यात्मिक और मन को भीतर तक स्पर्श करने वाला होता है। विशाल शिव प्रतिमा, मंदिर की शिल्पकला और समुद्र के समीप इसका स्थान इसे एक विशेष ऊर्जा से परिपूर्ण बनाता है। श्रद्धालु यहाँ आकर न केवल शिव के दर्शन करते हैं, बल्कि उनके अद्भुत नागस्वरूप से आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं।
यह तीर्थस्थल न केवल धार्मिक महत्ता से परिपूर्ण है, बल्कि पौराणिक कथाओं और लोक आस्था से भी गहराई से जुड़ा है। Nageshwar Jyotirlinga एक ऐसा धाम है, जहाँ श्रद्धा, शक्ति और शांति एक साथ मिलती हैं और हर भक्त को एक नई आध्यात्मिक दिशा प्रदान करती हैं।
यह पढ़े: गुजरात का एक और प्राचीन शिव धाम है Somnath Mandir।
महत्त्व और धार्मिक महिमा (Importance and Religious Glory)
Nageshwar Jyotirlinga का उल्लेख प्राचीन शिव पुराण में मिलता है, जहाँ इसे भगवान शिव के रक्षक रूप का प्रतीक माना गया है। यह पवित्र स्थल उस समय की याद दिलाता है जब राक्षस दरुका ने अत्याचार बढ़ा दिए थे और भक्त सुप्रिया ने भगवान शिव का आह्वान किया। शिव ने तुरंत प्रकट होकर दरुका का वध किया और अपने भक्त की रक्षा की। इसी दिव्य प्रसंग के कारण यहाँ नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना मानी जाती है।
यह स्थल शिव के उन रूपों में से एक को दर्शाता है जिसमें वे सर्पों से अलंकृत रहते हैं यह दर्शाता है कि वे सभी प्राणियों के स्वामी और रक्षक हैं। यहाँ का शिवलिंग स्वयंभू और दक्षिणमुखी है, जो अत्यंत दुर्लभ माना जाता है और भक्तों में विशेष श्रद्धा का विषय है।
Nageshwar Mandir न केवल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि यह द्वारका धाम की यात्रा का एक प्रमुख हिस्सा भी है। यह स्थल उस अलौकिक एकता को भी दर्शाता है जहाँ भगवान शिव और भगवान कृष्ण की ऊर्जा एक दूसरे में समाहित होती है, जो भक्त को अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान करती है।
यह पढ़े: शिवभक्ति से जुड़ा महाराष्ट्र का स्थल Grishneshwar Jyotirlinga भी पढ़ें।
रहस्यमयी कथा या इतिहास (Mysterious Story or History of Nageshwar Jyotirlinga)
एक समय की बात है, दारुक नामक एक राक्षस अपनी पत्नी दारुका के साथ समुद्र के पास एक वन में रहता था। वह शिवभक्तों को कष्ट देता था। वहीं सुप्रिया नामक शिवभक्त ने शिव का ध्यान करते हुए रक्षा की प्रार्थना की। भगवान शिव ने नागेश्वर रूप में प्रकट होकर दारुक का वध किया और अपने भक्त की रक्षा की। तब से यहाँ शिव “नागेश्वर” के रूप में पूजित हैं।
इतिहास में यह मंदिर वैष्णव और शैव परंपराओं के संगम के रूप में जाना जाता है। वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण उद्योगपति टी-सीरिज के गुलशन कुमार द्वारा कराया गया।
यह पढ़े: नासिक का त्रिवेणी शिव धाम है Trimbakeshwar Jyotirlinga।
भक्ति और परंपराएं (Devotion and Traditions of Nageshwar Jyotirlinga)
Nageshwar Jyotirlinga मंदिर में भक्तगण शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, और नाग-नागिन की माला अर्पित करते हैं। यहाँ पर विशेष नागपूजन की परंपरा है।
मुख्य परंपराएं:
- शिवलिंग पर नाग पंचमी को विशेष अभिषेक
- महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण
- श्रावण मास में सोमवार पूजन
- रुद्राभिषेक व महामृत्युंजय जाप
मंदिर परिसर में हर दिन भजन, शिव चालीसा पाठ और भक्ति संगीत का आयोजन होता है।
यह पढ़े: रामायण से जुड़ा पवित्र स्थल Rameshwaram Jyotirlinga भी देखें।
आरती और दर्शन समय (Aarti and Darshan Timings Nageshwar Jyotirlinga)
दर्शन / पूजा | समय |
---|---|
मंगला आरती | सुबह 6:00 बजे |
प्रातः दर्शन | सुबह 6:00 – दोपहर 12:30 बजे तक |
मध्याह्न आरती | दोपहर 12:00 बजे |
संध्या दर्शन | दोपहर 12:00 बजे से 7:00 बजे तक |
संध्या आरती | शाम 7:00 बजे से 7:30 |
शयन दर्शन | 7:00 बजे से 9:30 बजे तक |
Nageshwar Jyotirlinga मंदिर में विशेष पर्वों पर समय बदल सकता है।

स्थान और कैसे पहुँचें (Location and How to Reach)
स्थान: Nageshwar Jyotirlinga, Daarukavanam, Near Dwarka, Gujarat – 361335
- रेल मार्ग: द्वारका रेलवे स्टेशन (16 किमी)
- बस अड्डा: द्वारका बस स्टेंड ( 18 किमी )
- हवाई मार्ग: जामनगर एयरपोर्ट (135 किमी)
- सड़क मार्ग: द्वारका से टैक्सी, बस या ऑटो से मंदिर पहुँचना सुविधाजनक
धर्मशाला व रहने की सुविधा (Stay Options)
- Dwarka Dharamshalas: मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित
- Private Hotels: Hotel Gomti, Lords Inn Dwarka, Hawthorn Suites
- MTDC Guest Houses और Yatri Niwas
तीर्थयात्रा सीजन (जैसे श्रावण या महाशिवरात्रि) में अग्रिम बुकिंग ज़रूरी
यह पढ़े: जानिए कैसे शिव ने नागों के रूप में दारुक का अंत किया – Nageshwar Jyotirlinga Katha
FAQs – दर्शन से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. क्या यहाँ नाग देवता की विशेष पूजा होती है?
हाँ, नाग पंचमी और विशेष अवसरों पर नागपूजन का आयोजन होता है।
2. क्या मंदिर में दर्शन के लिए कोई शुल्क है?
नहीं, सामान्य दर्शन निःशुल्क है। विशेष पूजन के लिए शुल्क निर्धारित है।
3. क्या महिलाओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति है?
हाँ, महिलाएं शिवलिंग का अभिषेक कर सकती हैं।
4. क्या मंदिर समुद्र के निकट है?
हाँ, यह मंदिर समुद्र से कुछ ही दूरी पर स्थित है, जिससे इसका वातावरण शांत और शुद्ध है।
5. क्या द्वारकाधीश मंदिर से यहाँ पहुँचना सरल है?
हाँ, द्वारकाधीश मंदिर से टैक्सी, बस या प्राइवेट वाहन द्वारा केवल 20 मिनट में पहुँचा जा सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Nageshwar Jyotirlinga न केवल एक तीर्थ है, यह रक्षक शिव की जीवंत अनुभूति है। यहाँ शिव की पूजा करते हुए ऐसा लगता है जैसे वे स्वयं हमारे जीवन के हर संकट के आगे खड़े हो जाते हैं।
जो इस शिवधाम के दर्शन करता है, उसे नागों की रक्षा, शिव की कृपा और आत्मा की शांति तीनों प्राप्त होती हैं। यह स्थान उन भक्तों के लिए है जो शिव को केवल देव नहीं, बल्कि जीवन के रक्षक मानते हैं।
यह भी पढ़े:
- Somnath Mandir – गुजरात का पहला शिव ज्योतिर्लिंग
- Grishneshwar Jyotirlinga – महाराष्ट्र का अंतिम ज्योतिर्लिंग
- Trimbakeshwar Jyotirlinga – नासिक का त्रिवेणी संगम
- Rameshwaram Jyotirlinga – रामायण से जुड़ा पवित्र शिव धाम
- Nageshwar Jyotirlinga – पौराणिक कथा