- परिचय (Introduction)
- महत्त्व और धार्मिक महिमा (Importance and Religious Glory of Omkareshwar Jyotirlinga)
- पौराणिक कथा और इतिहास (Mythological Story and History of Omkareshwar Jyotirlinga)
- भक्ति और परंपराएं (Devotion and Traditions)
- आरती और दर्शन समय (Aarti and Darshan Timings)
- स्थान और कैसे पहुँचें (Location and Travel Guide)
- FAQs – दर्शन से जुड़े सामान्य प्रश्न (Frequently Asked Questions)
- निष्कर्ष (Conclusion)
परिचय (Introduction)
मध्यप्रदेश की पवित्र नर्मदा नदी की गोद में स्थित एक अद्भुत द्वीप पर विराजमान है Omkareshwar Jyotirlinga, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह द्वीप प्राकृतिक रूप से “ॐ” (ओम) के आकार का है, जो इसे अद्वितीय और अत्यंत दिव्य बनाता है। यही आकार इस धाम की आध्यात्मिक ऊर्जा और सनातन संस्कृति के गहरे रहस्य का प्रतीक माना जाता है।
ओंकारेश्वर धाम शिव और शक्ति के सामंजस्य का स्थल है, जहाँ भक्ति, ध्यान और शक्ति का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है। यहाँ दो प्रमुख मंदिर स्थित हैं Omkareshwar (मूल ज्योतिर्लिंग) और Mamleshwar (अमरेश्वर)। इन दोनों मंदिरों को मिलाकर पूर्ण ज्योतिर्लिंग की आराधना मानी जाती है।
नर्मदा के पवित्र जल की कलकल ध्वनि, आसपास के पर्वतों की छाया और मंदिर परिसर में गूंजते शिव नाम का जप, एक साथ मिलकर इस स्थान को आध्यात्मिक शांति और शक्ति से भर देते हैं। यहाँ पहुंचकर हर श्रद्धालु को आत्मिक शुद्धता और परम शांति की अनुभूति होती है। Omkareshwar Jyotirlinga केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि शिव तत्व का सजीव रूप है जो श्रद्धा के हर कण में समाया हुआ है।
यह पढ़े: हिमालय के शिवधाम Kedarnath Jyotirlinga से जुड़ी जानकारी भी पाएं।
महत्त्व और धार्मिक महिमा (Importance and Religious Glory of Omkareshwar Jyotirlinga)
Omkareshwar Jyotirlinga उन दुर्लभ तीर्थों में से एक है जहाँ भगवान शिव ने स्वयं ओंकार रूप में प्रकट होकर अपनी दिव्यता प्रकट की। यह पवित्र ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के मध्य स्थित एक प्राकृतिक द्वीप पर विराजमान है, जिसका आकार स्वयं “ॐ” के पवित्र चिन्ह के समान दिखाई देता है। इसी विशेषता के कारण इसे Omkareshwar कहा जाता है – ओंकार के ईश्वर।
यह स्थान न केवल वास्तु और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि ध्यान, साधना और भक्ति का ऊर्जाकेंद्र भी माना जाता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु शिव की उपासना के साथ आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव करते हैं। शिव की ओंकार ध्वनि यहाँ की वायु में जैसे सजीव रूप से गूंजती है, जो भक्त के मन को भीतर तक जाग्रत करती है।
यहाँ का Mamleshwar Mandir, जो पास ही स्थित है, उतना ही महत्व रखता है जितना ओंकारेश्वर। पौराणिक मान्यता है कि Omkareshwar और Mamleshwar दोनों मिलकर एक पूर्ण ज्योतिर्लिंग का निर्माण करते हैं। इसलिए श्रद्धालु दोनों मंदिरों के दर्शन को ही संपूर्ण पुण्यदायी मानते हैं। यह धाम श्रद्धा, शक्ति और शिव तत्व की अद्भुत त्रिवेणी है।
यह पढ़े: शिव और शक्ति के अद्वितीय मिलन स्थल Mallikarjuna Jyotirlinga भी अवश्य जानें।
पौराणिक कथा और इतिहास (Mythological Story and History of Omkareshwar Jyotirlinga)
प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार विद्याधरों के राजा मंदाता ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहाँ ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट होकर उसे आशीर्वाद दिया। एक अन्य कथा के अनुसार, देवताओं और दानवों के मध्य भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें देवताओं को पराजय मिली। तब वे शिव की शरण में गए। भगवान शिव ने “ॐ” रूप धारण कर देवताओं की रक्षा की और दानवों का नाश किया।
इतिहास में यह मंदिर परमार राजाओं, होलकर वंश और मराठाओं द्वारा कई बार पुनर्निर्मित हुआ। आज का स्वरूप होलकर रानी अहिल्याबाई के प्रयासों से सुसज्जित है।
यह पढ़े: त्रिवेणी संगम पर बसा Trimbakeshwar Jyotirlinga महाराष्ट्र का पवित्र स्थल है।
भक्ति और परंपराएं (Devotion and Traditions)
यहाँ की पूजा परंपराएं पूर्ण वैदिक विधि पर आधारित हैं:
- रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप
- हर सोमवार विशेष अभिषेक
- महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण
- नर्मदा स्नान और पूजन
- श्रावण मास में सावन सोमवार यात्रा
भक्त यहां नर्मदा के पवित्र जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। साथ ही नर्मदा परिक्रमा का प्रारंभ और समापन भी यहीं होता है।
यह पढ़े: उज्जैन का तांत्रिक शिवधाम Mahakaleshwar Jyotirlinga पास ही स्थित है।
आरती और दर्शन समय (Aarti and Darshan Timings)
सेवा | समय |
---|---|
मंगला आरती | सुबह 4:30 बजे |
प्रातः दर्शन | सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक |
मध्याह्न आरती | 12:00 PM |
संध्या दर्शन | 1:15 बजे से शाम 4:00 बजे तक |
संध्या आरती | शाम 8:30 बजे |
शयन दर्शन | रात्रि 9:00 बजे से 9:30 बजे तक |
विशेष पर्वों पर समय में परिवर्तन संभव है।

स्थान और कैसे पहुँचें (Location and Travel Guide)
स्थान: Omkareshwar Jyotirlinga, Mandhata Island, Khandwa District, Madhya Pradesh – 450554
केसे पहुचे:
- निकटतम एयरपोर्ट: इंदौर (77 किमी)
- रेलवे स्टेशन: Omkareshwar Road (14 किमी), Khandwa (70 किमी)
- बस सेवा: इंदौर, खंडवा, उज्जैन से सीधी बस ( 4 किमी )
- सड़क मार्ग: मंदिर तक ब्रिज और घाट के रास्ते पहुँचते हैं
धर्मशाला व रहने की सुविधा (Stay Options)
- मंदिर ट्रस्ट धर्मशाला (AC / Non-AC)
- MP Tourism Guest House
- निजी होटल: Hotel Geeta Shree, Narmada Retreat
- साधक आश्रम व संत निवास
भोजन की शुद्ध शाकाहारी व्यवस्था स्थानीय भोजनालयों में आसानी से उपलब्ध है।
यह पढ़े: जानिए क्यों शिव ने स्वयं को दो भागों में बाँटा – Omkareshwar Jyotirlinga Katha
FAQs – दर्शन से जुड़े सामान्य प्रश्न (Frequently Asked Questions)
1. क्या Omkareshwar और Mamleshwar दोनों मंदिरों का दर्शन आवश्यक है?
हाँ, दोनों को मिलाकर ही पूर्ण ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
2. क्या नर्मदा स्नान से पहले दर्शन किए जा सकते हैं?
धार्मिक परंपरा अनुसार पहले नर्मदा स्नान फिर शिव दर्शन करना श्रेष्ठ माना जाता है।
3. क्या यहाँ नाव सेवा उपलब्ध है?
धार्मिक परंपरा अनुसार पहले नर्मदा स्नान फिर शिव दर्शन करना श्रेष्ठ माना जाता है।
4. क्या महिला श्रद्धालु शिवलिंग पर जल चढ़ा सकती हैं?
हाँ, महिलाओं को भी पूजन और अभिषेक की अनुमति है।
5. क्या मंदिर दिनभर खुला रहता है?
मंदिर प्रातः 5 बजे से रात्रि 9:30 तक खुला रहता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Omkareshwar Jyotirlinga केवल एक मंदिर नहीं, यह शिव, नर्मदा और आध्यात्मिक साधना का संगम है। यहाँ आने वाला भक्त केवल दर्शन नहीं करता, वह शिव में स्वयं को समर्पित करता है। यह धाम श्रद्धा, साधना और शांति का प्रतीक है। यदि आप शिव और शक्ति दोनों की अनुभूति एक साथ करना चाहते हैं, तो Omkareshwar Jyotirlinga की यात्रा अवश्य करें।
यह भी पढ़े:
- Kedarnath Jyotirlinga – हिमालय का आदि शिव धाम
- Mallikarjuna Jyotirlinga – श्रीशैलम का दिव्य शिव धाम
- Mahakaleshwar Jyotirlinga – उज्जैन का तांत्रिक शिव धाम
- Trimbakeshwar Jyotirlinga – नासिक का त्रिवेणी संगम
- Omkareshwar Jyotirlinga – पौराणिक कथा