- रुद्राष्टक का सम्पूर्ण पाठ (Rudrashtak Stotra Path in Hindi)
- Rudrashtak का अर्थ (Meaning of Rudrashtak Stotra)
- पाठ विधि (How to Recite Rudrashtak Stotra)
- रुद्राष्टक स्तोत्र के लाभ (Benefits of Rudrashtak Stotra)
- रचना की पौराणिक कथा (Mythological Story Behind Rudrashtak)
- सावधानियाँ (Precautions While Chanting)
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष (Conclusion)
Rudrashtak Stotra भगवान शिव की आराधना में लिखा गया एक दिव्य स्तुति ग्रंथ है, जिसकी रचना प्रसिद्ध संत और रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। इस स्तोत्र का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है ‘रुद्र’ जो भगवान शिव के उग्र रूप को दर्शाता है, और ‘अष्टक’ जिसका तात्पर्य आठ श्लोकों की श्रृंखला से है।
यह स्तोत्र शिव जी के स्वरूप, उनके तेज, दया, सौंदर्य और शक्ति का अत्यंत प्रभावशाली वर्णन करता है। इसे नियमित रूप से श्रद्धा के साथ पढ़ने से मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कहा जाता है कि रुद्राष्टक का पाठ न केवल मानसिक तनाव और भय को दूर करता है, बल्कि जीवन में आने वाले कष्ट, रोग और पापों से भी रक्षा करता है।
इस स्तुति में शिव जी की महिमा इतनी मार्मिक ढंग से प्रकट होती है कि पाठक या श्रोता का हृदय भक्ति से भर उठता है। यह स्तोत्र भक्ति, ज्ञान और शांति का संगम है, जो साधक को शिव तत्व से जोड़ने का माध्यम बनता है।
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रुद्राष्टक का सम्पूर्ण पाठ (Rudrashtak Stotra Path in Hindi)
नमामीशमीशाननिर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं मनोभूतकोटिप्रभाश्रीशरीरम् ।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनीचारुगङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥
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Rudrashtak का अर्थ (Meaning of Rudrashtak Stotra)
हर श्लोक के नीचे उसका सरल हिन्दी अर्थ दें।
श्लोक 1
नमामीशमीशाननिर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥1॥
अर्थ:
मैं ईशान (शिव) को नमस्कार करता हूँ, जो मोक्षस्वरूप हैं, सर्वशक्तिमान हैं, सबमें व्याप्त हैं, ब्रह्म और वेदस्वरूप हैं। वे स्व-स्वरूप हैं, निर्गुण हैं, निर्विकल्प (जिनमें कोई भेद नहीं), और इच्छारहित हैं। उनका स्वरूप चैतन्य से भरा आकाश है और वे आकाश में ही वास करते हैं ऐसे शिव को मैं भजता हूँ।
श्लोक 2
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥2॥
अर्थ:
वे निराकार हैं, ओंकार का मूल हैं, चतुर्थ (तुरीय) अवस्था के स्वरूप हैं। वे हिमालय के स्वामी हैं और ज्ञान की पराकाष्ठा से परे हैं। वे भयंकर हैं, महाकाल के भी काल हैं, लेकिन असीम करुणा से परिपूर्ण हैं। वे गुणों के भंडार हैं और संसार से पार कराने वाले हैं ऐसे ईश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ।
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पाठ विधि (How to Recite Rudrashtak Stotra)
समय:
- हर सोमवार
- महाशिवरात्रि, सावन, प्रदोष पर विशेष लाभकारी
विधि:
- स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें
- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें
- दीप जलाकर शिवलिंग या चित्र के सामने करें
- शांत मन से 1, 3, 11 बार पाठ करें
माला: रुद्राक्ष माला का प्रयोग श्रेष्ठ माना गया है।
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रुद्राष्टक स्तोत्र के लाभ (Benefits of Rudrashtak Stotra)
- मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि
- भय, रोग, शोक व बाधाओं से मुक्ति
- जीवन में स्थिरता और आत्मबल
- शिव कृपा द्वारा समस्त इच्छाओं की पूर्ति
- मृत्यु के भय से रक्षा और आत्मा की शुद्धि
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रचना की पौराणिक कथा (Mythological Story Behind Rudrashtak)
Rudrashtak Stotra की रचना संत तुलसीदास जी द्वारा की गई थी, जो भगवान राम के महान भक्त और श्रीरामचरितमानस के रचयिता माने जाते हैं। यह दिव्य स्तोत्र रामचरितमानस के उत्तरकांड में मिलता है और इसकी रचना का उद्देश्य भगवान शिव की स्तुति करना था। कथा के अनुसार, जब भगवान राम ने भगवान शिव की उपासना प्रारंभ की, तो उनके गुरुदेव तुलसीदास जी ने भावविभोर होकर इस स्तोत्र की रचना की थी।
रुद्राष्टक आठ श्लोकों में रचित एक प्रभावशाली स्तुति है, जिसमें भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों, उनके तेज, करुणा, और लोकहितकारी गुणों का वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। यह स्तोत्र न केवल शिवभक्ति को सशक्त करता है, बल्कि साधक के जीवन में मानसिक और आत्मिक शांति भी लाता है। यही कारण है कि आज भी यह रचना अत्यंत श्रद्धा और भक्ति से पढ़ी जाती है।
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सावधानियाँ (Precautions While Chanting)
⚠ मंत्र का उच्चारण शुद्ध करें
⚠ पाठ के समय मोबाइल या अन्य ध्यानभंग करने वाली वस्तु न रखें
⚠ पाठ के पूर्व स्नान करें
⚠ भोजन में सात्विकता रखें
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. क्या Rudrashtak Stotra कोई भी पढ़ सकता है?
हाँ, इसे कोई भी भक्त पढ़ सकता है महिला या पुरुष।
2. क्या यह पाठ रोज़ करना चाहिए?
यदि संभव हो तो प्रतिदिन, नहीं तो सोमवार को ज़रूर करें।
3. क्या बिना दीक्षा के यह पाठ किया जा सकता है?
जी हाँ, यह सार्वभौमिक स्तोत्र है जिसे श्रद्धा से कोई भी कर सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Rudrashtak Stotra न केवल एक धार्मिक पाठ है बल्कि एक साधना है एक मार्ग जो आत्मा को शिव से जोड़ता है। इसकी शक्ति शब्दों में नहीं, भाव में है। जो भी सच्चे मन से इसका पाठ करता है, वह शिव तत्व को अनुभव करता है और जीवन की कठिनाइयों से ऊपर उठ जाता है।