Sheetala Satam 2025 kab hai? (Date, Tithi, Muhurat & Puja Vidhi)

भारतवर्ष में हर पर्व किसी न किसी धार्मिक भावना, परंपरा और जीवनशैली से जुड़ा होता है। ऐसा ही एक पावन और आस्था से भरा हुआ पर्व है Sheetala Satam, जिसे विशेष रूप से गुजरात, राजस्थान और मध्य भारत में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से Sheetala Mata, यानी रोगों से रक्षा करने वाली देवी, को समर्पित होता है।

Sheetala Satam 2025 इस बार 15 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो पूरे परिवार की स्वास्थ्य सुरक्षा और सुख-शांति के लिए व्रत रखती हैं। एक दिन पहले यानी Randhan Chhath 2025 पर बिना प्याज़-लहसुन वाला सात्विक भोजन बनाया जाता है, जिसे अगले दिन शीतला माता को भोग लगाकर स्वयं और परिवार सहित सेवन किया जाता है।

इस दिन से जुड़ी पूजा विधि, व्रत कथा और धार्मिक नियम न केवल परंपरा से जुड़े हैं, बल्कि आज के समय में स्वास्थ्य, स्वच्छता और सकारात्मकता का भी प्रतीक हैं।

👉 जानिए इस लेख में Sheetala Satam 2025 date, puja muhurat, और vrat vidhi पूरी जानकारी के साथ।

Sheetala Satam 2025 kab hai?

Sheetala Satam 2025 इस वर्ष शुक्रवार, 15 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं द्वारा श्रद्धा और भक्ति से किया जाने वाला व्रत है जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को आता है। यह व्रत Randhan Chhath के अगले दिन रखा जाता है, और इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है।

शीतला माता को रोगों की देवी माना जाता है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु इस दिन पूरी श्रद्धा से व्रत रखकर माता की पूजा करता है, उसे संक्रामक रोगों से मुक्ति मिलती है और घर में स्वास्थ्य व समृद्धि बनी रहती है। विशेष रूप से गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में यह पर्व बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।

Tithi or Muhurat:

  • व्रत की तिथि: शुक्रवार, 15 अगस्त 2025
  • सप्तमी तिथि आरंभ: 14 अगस्त 2025 को रात्रि 08:44 बजे
  • सप्तमी तिथि समाप्त: 15 अगस्त 2025 को रात्रि 06:32 बजे तक
  • पूजन का शुभ मुहूर्त:
    • प्रातः 05:40 AM से सायं 06:30 PM तक
    • इस समय के बीच माता शीतला की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है।

विशेष बातें:

  1. इस दिन नया खाना नहीं बनाया जाता है।
  2. एक दिन पहले यानी Randhan Chhath के दिन पकाया गया शुद्ध भोजन ही इस दिन सेवन किया जाता है।
  3. व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान कर, माता को ठंडा भोजन और दूब, हल्दी, नीम की पत्तियां अर्पित करती हैं।

यह भी पढ़े: Randhan Chhath 2025 kab hai? (Date, Tithi, Muhurat & Pooja-vidhi)

Sheetala Satam क्या है? (पर्व का महत्व और पहचान)

Sheetala Satam एक प्रमुख हिन्दू पर्व है जो विशेष रूप से गुजरात, राजस्थान और मध्य भारत में श्रद्धा से मनाया जाता है। यह पर्व Sheetala Mata को समर्पित होता है, जो लोकमान्यताओं के अनुसार रोगों की देवी हैं। खासकर बच्चों को चेचक, खसरा और अन्य संक्रामक रोगों से बचाने के लिए माता शीतला की पूजा की जाती है।

शीतला माता का नाम “शीतलता” से बना है, जिसका अर्थ है शीतलता, ठंडक और शांति। मान्यता है कि माता शीतला उन घरों में वास करती हैं जहाँ स्वच्छता, सात्विकता और श्रद्धा होती है। यही कारण है कि इस पर्व का सबसे बड़ा संदेश है स्वच्छता से स्वास्थ्य

इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और पहले दिन बनाए गए भोजन को ठंडा करके माता को भोग लगाती हैं। पूजा में नीम की पत्तियाँ, हल्दी, दूब और ठंडा जल विशेष रूप से अर्पित किया जाता है।

इस पर्व का महत्व:

  • रोगों से सुरक्षा की कामना
  • परिवार की सुख-शांति
  • भोजन की शुद्धता और स्वच्छता पर बल
  • परंपरा और आध्यात्मिक अनुशासन को बढ़ावा

Sheetala Mata Vrat Katha (शीतला माता व्रत कथा)

बहुत पुरानी बात है, एक गांव में भक्तिन नामक एक महिला रहती थी जो माँ शीतला की परम भक्त थी। हर वर्ष वह पूरे नियम और विधि-विधान के साथ व्रत रखती थी। वह व्रत से एक दिन पूर्व यानी Randhan Chhath के दिन सात्विक भोजन पकाती थी जिसमें न तो प्याज़ होता था, न लहसुन और न ही गरम मसाले। अगले दिन, यानी Sheetala Satam पर वह वही ठंडा भोजन माँ शीतला को अर्पित करती और फिर स्वयं व अपने परिवार को भी वही भोजन कराती।

एक वर्ष जब भक्तिन की बहू घर आई, तो उसने इस परंपरा को अंधविश्वास मानते हुए उसका पालन नहीं किया। उसने ताजा गरम भोजन बनाया और वही माँ शीतला को भोग में अर्पित कर दिया। यह देख कर माँ शीतला कुपित हो गईं। उनका क्रोध इतना प्रचंड हुआ कि पूरे गांव में चेचक, खसरा और त्वचा संबंधी रोगों का भयंकर प्रकोप फैल गया।

लोग व्याकुल हो गए। भक्तिन को जब इस घटना का पता चला तो उसने अपनी बहू को समझाया और पुनः श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत किया। उसने फिर से ठंडा सात्विक भोजन बनाया, माँ शीतला की विधिपूर्वक पूजा की और वही भोग में अर्पित किया। माँ प्रसन्न हुईं, गांव को रोगमुक्त कर दिया और आशीर्वाद दिया कि जो भी नियम से व्रत करेगा, उसके घर में कोई संक्रामक रोग नहीं फैलेगा।

यह कथा हमें सिखाती है कि श्रद्धा, नियम और परंपरा का पालन केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत आवश्यक है। Sheetala Satam जैसे पर्व स्वच्छता, ठंडे-सात्विक भोजन और संयम को बढ़ावा देते हैं, जो आधुनिक विज्ञान के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं।

यह भी पढ़े: Navratri Vrat 2025 | 9 दिन की पूजा विधि, कथा और व्रत का रहस्य

Sheetala Mata Puja Vidhi (पूजा की विधि)

Sheetala Satam 2025 का व्रत और पूजा विशेष रूप से महिलाओं द्वारा परिवार की स्वास्थ्य रक्षा, सुख-शांति और रोग नाश के लिए किया जाता है। इस दिन पूजा का तरीका परंपरागत होते हुए भी बहुत सरल और प्रभावशाली है। नीचे विस्तार से जानिए Sheetala Mata ki puja kaise karein

1. पूजा की तैयारी:

  • एक दिन पहले, यानी Randhan Chhath 2025 को सात्विक और शुद्ध भोजन बनाना होता है।
  • भोजन में बिना लहसुन-प्याज़ और कम मसालों का उपयोग करना चाहिए।
  • अधिकतर घरों में इस दिन पूड़ी, आलू की सब्जी, रायता, गुड़, चावल और मीठा बनाया जाता है।

Note: यह भोजन ठंडा कर के अगले दिन माता को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है।

2. सुबह का नियम:

  • व्रत वाले दिन, यानी 15 अगस्त 2025 को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  • पूजा स्थान को स्वच्छ करके वहाँ शीतला माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • माँ को हल्दी, चंदन, नीम की पत्तियाँ, दूब घास, ठंडा जल, और पहले से बनाए गए ठंडे भोजन का भोग अर्पित करें।

3. पूजा विधि (Puja Process):

  1. माता को रोली, चावल, हल्दी, अक्षत और फूल चढ़ाएं।
  2. शुद्ध जल से स्नान कराएँ (Symbolically sprinkle water)।
  3. नीम की पत्तियों से माँ को शीतलता देने की भावना से पूजा करें।
  4. ठंडा भोजन पूड़ी, चावल, सब्जी, गुड़ इत्यादि माता को भोग के रूप में अर्पित करें।
  5. इसके बाद परिवार के सभी सदस्य वही भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन ताजा खाना नहीं बनाया जाता

4. व्रत कथा और आरती:

  • पूजा के बाद Sheetala Mata vrat katha अवश्य सुननी चाहिए (हमने यह कथा पहले सेक्शन 3 में दी है)।
  • उसके बाद शीतला माता की आरती करें और परिवार की सुख-शांति की कामना करें।

5. व्रत नियम:

  • पूरे दिन संयम, शांति और श्रद्धा बनाए रखें।
  • इस दिन कोई नया कार्य या बड़ा निर्णय नहीं लिया जाता।
  • ज़रूरतमंदों को ठंडा जल, भोजन या नीम की पत्तियाँ दान करना पुण्यकारी माना जाता है।

Puja ke Niyam aur Saavdhaniyan (क्या करे और क्या न करे)

Sheetala Satam 2025 का पर्व पूर्ण श्रद्धा और अनुशासन से मनाया जाता है। इस दिन के नियम और सावधानियाँ व्रत की सफलता और माता की कृपा प्राप्त करने के लिए बेहद ज़रूरी माने जाते हैं। नीचे बताया गया है कि इस पावन दिन क्या करें और क्या नहीं करें, ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो और पारिवारिक सुख-शांति बनी रहे।

क्या करें (What to Do):

  • एक दिन पहले भोजन पकाएं (Randhan Chhath):
    शीतला सप्तमी से एक दिन पहले यानी 14 अगस्त 2025 को ही शुद्ध सात्विक भोजन बना लिया जाए। इस भोजन में प्याज़, लहसुन और गरम मसाले न डालें।
  • सुबह जल्दी उठें और स्नान करें:
    व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इससे शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
  • माता को ठंडा भोग अर्पित करें:
    ठंडा भोजन जैसे पूड़ी, चावल, मीठा, रायता आदि माँ को भोग में दें। यह भोग शांति और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।
  • नीम की पत्तियाँ उपयोग करें:
    पूजा में नीम पत्र अवश्य शामिल करें। यह माता को प्रिय है और रोगनाशक भी होता है।
  • माता की कथा और आरती करें:
    पूजा के बाद Sheetala Mata ki katha और आरती सुनना न भूलें।

क्या न करें (What Not to Do):

  • गरम खाना न पकाएं और न खाएं:
    इस दिन नया खाना पकाना निषेध है। गरम भोजन शीतला माता को अप्रिय होता है।
  • झगड़ा, गाली-गलौज और अपवित्रता से बचें:
    इस दिन घर का वातावरण शांत, पवित्र और सात्विक होना चाहिए।
  • शोर या तेज आवाज़ में संगीत न चलाएं:
    पूजा और व्रत का वातावरण शांत और भक्तिमय होना चाहिए।
  • मांसाहार और नशे से दूर रहें:
    इस दिन पूर्ण सात्विक आचरण आवश्यक है। मांसाहार या किसी भी प्रकार के नशे का सेवन पूर्ण रूप से वर्जित है।

यह भी पढ़े: Karwa Chauth Vrat | सुहाग की रक्षा का पर्व | कथा, पूजा विधि और लाभ

Randhan Chhath and Sheetala Satam relation

Randhan Chhath और Sheetala Satam दो ऐसे पर्व हैं जो आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। ये दोनों त्योहार खासतौर पर गुजरात, राजस्थान, और मध्य भारत में परंपरा, श्रद्धा और स्वास्थ्य से जुड़ी जीवनशैली को दर्शाते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य है माँ शीतला की कृपा प्राप्त करना और परिवार को रोगमुक्त रखना।

Randhan Chhath, जिसे “रंधन छठ” कहा जाता है, Sheetala Satam से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर खाना पकाने के लिए निर्धारित होता है। इस दिन घर की महिलाएँ शुद्ध सात्विक भोजन बनाती हैं, जिसे अगले दिन Sheetala Satam के दिन माता को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। इस भोजन में प्याज़, लहसुन, मिर्च और गरम मसालों का प्रयोग नहीं किया जाता।

Sheetala Satam के दिन यह पहले से बना हुआ ठंडा खाना ही माँ शीतला को अर्पित किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि माता को गरम भोजन पसंद नहीं है। यही कारण है कि Randhan Chhath को Sheetala Satam ka aarambhik din भी माना जाता है।

इन दोनों पर्वों का जुड़ाव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण संतुलन से भी जुड़ा हुआ है। सावन-भादो के मौसम में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए गरम खाना न बनाना और ठंडा सात्विक भोजन खाना शरीर को संतुलित रखता है।

Randhan Chhath and Sheetala Satam relation केवल परंपरा नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक वैज्ञानिक, शुद्ध और संयमित शैली को दर्शाता है जो पीढ़ियों से चली आ रही है।

Faq’s

Q1. Sheetala Satam 2025 kab hai?

उत्तर: Sheetala Satam 2025 में 15 अगस्त (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। यह तिथि श्रावण मास की कृष्ण पक्ष सप्तमी को आती है। इस दिन व्रती महिलाएँ एक दिन पहले बना ठंडा भोजन ग्रहण कर व्रत रखती हैं और माँ शीतला की पूजा करती हैं।

Q2. Randhan Chhath aur Sheetala Satam me kya antar hai?

उत्तर: Randhan Chhath (14 अगस्त 2025) वह दिन है जब व्रत के लिए खाना पकाया जाता है। जबकि Sheetala Satam (15 अगस्त 2025) को वही ठंडा भोजन माता शीतला को अर्पित किया जाता है। दोनों त्योहार एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं एक खाना बनाने का दिन है, दूसरा खाने और पूजा का।

Q3. Sheetala Mata ki puja ka sahi samay kya hai?

उत्तर: सुबह स्नान के बाद, सूर्योदय के समय या मुहूर्त काल में पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। 2025 में यह समय प्रातः 6:00 बजे से 8:30 बजे तक रहेगा। इस दौरान माता को ठंडा भोग अर्पित करें और व्रत कथा सुनें।

Q4. Sheetala Satam vrat ka kya mahatva hai?

उत्तर: यह व्रत स्वास्थ्य, रोगों से मुक्ति और पारिवारिक सुख के लिए किया जाता है। माँ शीतला को शीतलता और शुद्धता की देवी माना जाता है। इस व्रत से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और परिवार में मानसिक शांति बनी रहती है।

Q5. Kya bachche aur purush bhi vrat rakh sakte hain?

उत्तर: हाँ, हालांकि यह व्रत परंपरागत रूप से महिलाएँ करती हैं, लेकिन श्रद्धा से कोई भी पुरुष या बच्चे इसका पालन कर सकते हैं। माता की कृपा सब पर समान रूप से होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

Sheetala Satam 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन में स्वच्छता, संयम और शुद्ध आहार की महत्ता को समझाने वाला परंपरागत संदेश है। Randhan Chhath और Sheetala Satam का आपसी संबंध दर्शाता है कि हमारे पूर्वजों ने स्वास्थ्य और प्रकृति के संतुलन को कितनी समझदारी से जीवन में अपनाया था। माँ शीतला की पूजा से न केवल शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बल्कि परिवार में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता का वातावरण भी बना रहता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि कैसे सरल नियमों और श्रद्धा से जीवन को बेहतर और स्वस्थ बनाया जा सकता है।

इस Sheetala Satam 2025 पर आइए, माता की पूजा विधिपूर्वक करें और उनकी कृपा से रोग, क्लेश और तनाव से मुक्त जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *