Shiv Chalisa Meaning | हिंदी में 40 चौपाइयों का सरल अर्थ

जानिए Shiv Chalisa की हर चौपाई और दोहे का भावपूर्ण व सरल अर्थ। श्रद्धा, ज्ञान और अनुभव से भरपूर

Shiv Chalisa मात्र एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि यह शिव भक्ति की एक गहन साधना है। इसमें भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों, दिव्य लीलाओं और करुणामयी कृपा का वर्णन अत्यंत भावपूर्ण ढंग से किया गया है। प्रत्येक चौपाई और दोहे में ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा समाहित है, जो साधक के मन को शांति देती है, चित्त को एकाग्र करती है और आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करती है।

जब इस चालीसा का पाठ केवल रटी-रटाई विधि से नहीं, बल्कि उसके वास्तविक अर्थ और भावना के साथ किया जाता है, तब वह पाठ केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहता वह एक आत्मिक अनुभव बन जाता है।

इस लेख के माध्यम से हम Shiv Chalisa के हर एक चरण का सरल और सुस्पष्ट अर्थ प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि पाठक केवल शिव स्तुति न करें, बल्कि शिव तत्व को हृदय से जानें, उसका अनुभव करें और उस चेतना से गहरा जुड़ाव स्थापित कर सकें। यह प्रयास है शिवभक्तों को शब्दों से अनुभूति तक ले जाने का।

यह पढ़े: Shiv Chalisa in Hindi – सम्पूर्ण पाठ, लाभ और विधि

शिव चालीसा का सरल अर्थ – Shiv Chalisa Meaning in Hindi

|| दोहा ||

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

अर्थ: हे गणेशजी! आप पार्वती के पुत्र और मंगलमय कार्यों के मूल हैं। अयोध्यादास आपसे निर्भयता का वरदान माँगते हैं।

||चौपाई||

जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

अर्थ: हे पार्वतीपति! आप दीन-दुखियों पर दया करते हैं और संतों की सदैव रक्षा करते हैं।

भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अर्थ: आपके मस्तक पर चंद्रमा शोभित है और कानों में नाग के कुण्डल हैं।

अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

अर्थ: आपका शरीर गौरवर्ण है, सिर से गंगा बह रही है, और आपने शरीर पर भस्म लगा रखी है व मुंडमाला पहनी है।

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

अर्थ: आपने बाघ की खाल पहनी है और आपकी छवि देखकर नाग और मुनि भी मोहित हो जाते हैं।

यह पढ़े: Shiv Chalisa Full Path in Hindi – सम्पूर्ण पाठ

मैना मातु की हवे दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

अर्थ: आप पार्वती के प्रिय पति हैं, जो मैना माता की पुत्री हैं, और बाएँ अंग में उनका स्थान अत्यंत शोभायमान है।

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

अर्थ: आपके समीप नंदी और गणेश ऐसे शोभित होते हैं जैसे समुद्र के बीच खिला कमल।

कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥

अर्थ: कार्तिकेय, श्याम और अन्य गणराज की छवि इतनी दिव्य है कि उसका वर्णन असंभव है।

देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

अर्थ: जब भी देवताओं ने आपकी शरण ली, आपने उनके सभी संकट हर लिए।

किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

अर्थ: जब तारकासुर ने उत्पात मचाया, तब सभी देवता मिलकर आपकी स्तुति करने लगे।

तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

अर्थ: आपने तुरंत षडानन (कार्तिकेय) को भेजा, जिन्होंने पलभर में तारकासुर का वध कर दिया।

आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

अर्थ: आपने जलंधर नामक दैत्य का वध किया और आपकी कीर्ति संसार में फैल गई।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

अर्थ: आपने त्रिपुरासुर से युद्ध कर सभी देवताओं को उसकी पीड़ा से मुक्त किया।

किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

अर्थ: भागीरथ के तप से प्रसन्न होकर आपने अपनी प्रतिज्ञा निभाई और गंगा को धरती पर उतारा।

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

अर्थ: दान देने वालों में आप सर्वोपरि हैं, आपके भक्त सदैव आपकी स्तुति करते हैं।

यह पढ़े: Shiv Chalisa ke Benefits – लाभ और सावधानियाँ

वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

अर्थ: वेदों ने आपके नाम और महिमा का गान किया, परंतु आपके स्वरूप का अंत नहीं पाया।

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥

अर्थ: समुद्र मंथन में जब कालकूट विष निकला, तब देव-दानव सभी संकट में पड़ गए।

कीन्ही दया तहं करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

अर्थ: आपने करुणा कर विष का पान किया और तब से आपका नाम नीलकंठ प्रसिद्ध हुआ।

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

अर्थ: जब श्रीराम ने आपकी पूजा की, तब आपकी कृपा से उन्होंने रावण को हराया और विभीषण को लंका सौपी।

सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

अर्थ: जब विष्णु ने सहस्र कमलों से आपकी पूजा की, तब आपने उनकी परीक्षा ली।

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

अर्थ: जब एक कमल कम पड़ा तो विष्णु ने अपना नेत्र कमल बनाकर अर्पित किया।

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

अर्थ: विष्णु की कठिन भक्ति देखकर आप प्रसन्न हुए और उन्हें मनचाहा वरदान दिया।

जय जय जय अनन्त अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी ॥

अर्थ: हे अनंत और अविनाशी प्रभु! आप सबके हृदय में वास करते हैं और कृपा करते हैं।

यह पढ़े: Shiv Chalisa Path ki Pooja Vidhi – पाठ विधि

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

अर्थ: हे प्रभु! दुष्ट जन मुझे हर दिन सताते हैं, मैं भटकता रहता हूँ और मुझे कोई चैन नहीं मिलता।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

अर्थ: हे नाथ! मैं “त्राहि त्राहि” कहकर पुकार रहा हूँ। कृपया इस समय मेरी रक्षा कीजिए।

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो॥

अर्थ: अपने त्रिशूल से मेरे शत्रुओं का नाश कीजिए और मुझे इस संकट से बाहर निकालिए।

मात-पिता भ्राता सब होई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥

अर्थ: जब कोई बड़ा संकट आता है, तब माता-पिता या भाई भी साथ नहीं देते।

स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु मम संकट भारी॥

अर्थ: हे प्रभु! अब मेरी एकमात्र आशा आप ही हैं। कृपया आकर मेरा यह भयानक संकट दूर कीजिए।

धन निर्धन को देत सदा हीं।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥

अर्थ: आप सदा निर्धनों को धन देते हैं। जो भी आपसे कुछ माँगता है, वह उसे अवश्य प्राप्त करता है।

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

अर्थ: हे नाथ! मैं आपकी स्तुति किस विधि से करूं? कृपया मेरी त्रुटियों को क्षमा कीजिए।

शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

अर्थ: हे शंकर! आप संकटों को नष्ट करने वाले, मंगल का कारण और विघ्नों के विनाशक हैं।

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
शारद नारद शीश नवावैं॥

अर्थ: योगी, यति और मुनि आपका ध्यान करते हैं। सरस्वती और नारद भी आपको नमन करते हैं।

नमो नमो जय नमः शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

अर्थ: हे शिव! आपको बार-बार नमस्कार है। ब्रह्मा जैसे देवता भी आपके स्वरूप का पार नहीं पा सके।

जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पर होत है शम्भु सहाई॥

अर्थ: जो भक्त इस चालीसा का एकाग्रता से पाठ करता है, उस पर भगवान शम्भु कृपा करते हैं।

यह पढ़े: Rudrashtak Stotra – शिव की स्तुति

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥

अर्थ: यदि किसी पर ऋण या कोई बंधन है और वह भक्तिपूर्वक यह पाठ करे, तो शिव उसे पावन कर देते हैं।

पुत्र हीन कर इच्छा जोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

अर्थ: जो व्यक्ति संतान की इच्छा करता है, शिव की कृपा से उसे अवश्य संतान प्राप्त होती है।

पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे॥

अर्थ: यदि कोई श्रद्धालु पंडित को बुलाकर त्रयोदशी के दिन ध्यानपूर्वक हवन कराए

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।
ताके तन नहीं रहै कलेशा॥

अर्थ: और नियमित रूप से त्रयोदशी का व्रत करे, तो उसके शरीर और जीवन में कोई कष्ट नहीं रहता।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

अर्थ: जो व्यक्ति धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित कर शिव जी के समक्ष यह पाठ सुनाता है

जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्त धाम शिवपुर में पावे॥

अर्थ: उसके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में उसे शिवपुर धाम की प्राप्ति होती है।

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

अर्थ: अयोध्यादास प्रार्थना करते हैं हे प्रभु! मेरी आशा आप ही हैं, कृपया मेरे सभी दुःख हर लें।

|| दोहा ||

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

अर्थ: मैं प्रतिदिन नियमपूर्वक प्रातः काल शिव चालीसा का पाठ करता हूँ। हे जगदीश्वर! मेरी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करें।

मगसर छठि हेमन्त ऋतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

अर्थ: इस शिव चालीसा की रचना मगसर महीने की छठी तिथि, हेमन्त ऋतु में, संवत 2064 में पूर्ण की गई। इसका पाठ शिव भक्तों के कल्याण के लिए किया गया।

|| श्री शिव चालीसा सम्पूर्ण ||

निष्कर्ष (Conclusion)

Shiv Chalisa का अर्थ समझकर किया गया पाठ, केवल जप नहीं होता वह एक जीवंत संवाद बन जाता है भक्त और भगवान के बीच। जब हर चौपाई का भाव हमारे अंतर्मन में उतरता है, तब शिव की कृपा भी उसी गहराई से उतरती है। जो साधक इस भावपूर्ण शिव चालीसा को श्रद्धा और ज्ञान के साथ पढ़ते हैं, उनके जीवन से अज्ञान, भय और क्लेश स्वतः दूर हो जाते हैं। आइए, इस ज्ञानमय भक्ति पथ पर चलें और शिव की अनंत कृपा को आत्मसात करें।

हर हर महादेव।


यह भी पढ़े:

  1. शिव चालीसा – सम्पूर्ण पाठ
  2. शिव चालीसा पाठ के लाभ
  3. शिव चालीसा – लाभ, अर्थ और विधि सहित
  4. रुद्राष्टक स्तोत्र – अर्थ और पाठ विधि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *