Shiv Chalisa भगवान शिव की भक्ति का एक सरल, सुंदर और प्रभावी माध्यम है, जिसमें चालीस चौपाइयों के जरिए उनके गुण, महिमा और भक्ति का वर्णन किया गया है। इस चालीसा को पढ़ने से भक्तों को मानसिक शांति, सुख, समृद्धि और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। शिव चालीसा में भगवान शिव को गिरिजा पति, दीन दयाला, संकटनाशक, विघ्न विनाशक, त्रिपुरारी, नीलकंठ, भोलेनाथ, महादेव आदि नामों से पुकारा गया है। इसमें उनके स्वरूप, वेशभूषा, गुण और उनकी दिव्य लीलाओं का भी वर्णन है।
इस चालीसा को किसी भी दिन पढ़ा जा सकता है, लेकिन सोमवार के दिन और शिवरात्रि पर इसका पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है। पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें, फिर भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग के सामने बैठकर दीपक जलाएं और जल, पुष्प, चावल, दही आदि से पूजा करें। पाठ के अंत में आरती करना चाहिए। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है, घर में सुख-शांति आती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। शिव चालीसा भगवान शिव की भक्ति का सरल और सशक्त माध्यम है, जिसे हर उम्र के लोग आसानी से पढ़ सकते हैं।
यह पढ़े: Shiv Chalisa in Hindi – सम्पूर्ण पाठ, 5 चमत्कारी लाभ, अर्थ और पाठ विधि
Shiv Chalisa Full Path in Hindi ( शिव चालीसा सम्पूर्ण पाठ )
|| दोहा ||
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
|| चौपाई ||
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥
यह पढ़े: Shiv Chalisa Meaning in Hindi – शिव चालीसा का सरल अर्थ
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
यह पढ़े: Shiv Chalisa ke Benefits – लाभ और सावधानियाँ
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
यह पढ़े: Shiv Chalisa Path ki Pooja Vidhi – पूजा करने की विधि
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
यह पढ़े: Rudrashtak Stotra – रुद्राष्टक स्तोत्र सम्पूर्ण पाठ
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
|| दोहा ||
नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥
|| श्री शिव चालीसा सम्पूर्ण ||
यह भी पढ़े:
- शिव चालीसा: पाठ, लाभ, अर्थ और विधि
- शिव चालीसा का सरल हिंदी अर्थ
- शिव चालीसा पाठ के लाभ और सावधानियाँ
- रुद्राष्टक स्तोत्र – पाठ और पूजा विधि