Shiv Krit Durga Stotra सनातन धर्म की गूढ़ परंपराओं में जब-जब अधर्म बढ़ा, तब-तब ईश्वर ने स्वयं या अपनी शक्तियों के माध्यम से धर्म की रक्षा की है। ऐसे ही एक समय की यह कथा है, जब दैत्य और राक्षसों का आतंक इतना बढ़ चुका था कि स्वर्गलोक, मृत्युलोक और पाताललोक तक त्राहि-त्राहि मच गई थी।
राक्षसराज महिषासुर और अन्य असुरों ने देवताओं को पराजित कर दिया था। इन्द्र, अग्नि, वरुण, यम, कुबेर जैसे प्रमुख देवता अपने-अपने लोकों से निष्कासित कर दिए गए थे। असुरों की सेनाएं दिन-रात पृथ्वी और आकाश को रौंद रही थीं। कोई भी देवता उनका प्रतिकार करने में समर्थ नहीं था। इसी घोर संकट की अवस्था में, सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे विनती की कि वे इस संकट का समाधान करें। विष्णुजी ने कहा “यह समय शक्ति का है। अब केवल देवी दुर्गा ही इस संकट का समाधान कर सकती हैं। हमें मिलकर शिवजी की शरण लेनी चाहिए।”
यह पढ़े: Shiv Krit Durga Stotra – संपूर्ण पाठ, अर्थ, लाभ, पूजा विधि
देवताओं का शिवजी से प्रार्थना करना – Shiv Krit Durga Stotra
सभी देवता मिलकर कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के पास पहुंचे। शिवजी समाधि में लीन थे, लेकिन देवताओं की करुण पुकार और उनके संकट की व्यथा सुनकर उन्होंने नेत्र खोले। देवताओं ने अपनी विनती रखी “हे प्रभो! असुरों ने सृष्टि का संतुलन बिगाड़ दिया है। केवल माँ दुर्गा ही उनका नाश कर सकती हैं, लेकिन हम उन्हें कैसे प्रसन्न करें, यह मार्ग अज्ञात है।”
तब भगवान शिव ने अत्यंत गंभीर स्वर में कहा “जब शक्ति ही समाधान है, तो शक्ति की आराधना करनी होगी। और शक्ति की आराधना वही कर सकता है जिसने स्वयं अपनी अहंता, ममता और वासना का विसर्जन किया हो। मैं तुम्हारे साथ माँ दुर्गा का आह्वान करूंगा।”
यह पढ़े: Rudrashtak Stotra – शिव भक्ति का दिव्य स्तोत्र
शिवजी का तप और स्तुति का प्रकट होना
भगवान शिव ने हिमालय की एक गुफा में प्रवेश किया। उन्होंने समस्त लोकों के सामने अपना पंचमुखी रूप प्रकट किया और तीव्र तपस्या आरंभ की। उनकी तपस्या से समस्त दिशाओं में कंपन होने लगा। शिवजी ने ध्यान में माता के दश महाविद्या, नवदुर्गा, त्रिपुरसुंदरी, महाकाली, चण्डिका, चामुंडा और अन्य रूपों का दर्शन किया।
इन्हीं दिव्य रूपों के अनुभव और भाव से उन्होंने एक दिव्य स्तोत्र की रचना की जिसमें देवी की व्याप्ति अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, बुद्धि, श्रद्धा, लज्जा, कीर्ति, तृष्णा, निद्रा तक में बताई गई। शिवजी के कंठ से स्वतः यह स्तोत्र फूट पड़ा, जिसे आज हम “Shiv Krit Durga Stotra“ के नाम से जानते हैं।
यह पढ़े: Shiv Panchakshar Stotra – अर्थ और लाभ सहित
देवताओं का स्तोत्र के साथ पाठ और देवी का प्रकट होना
शिवजी ने सभी देवताओं को यह स्तोत्र स्मरण कराया और कहा: “इस स्तोत्र का पाठ श्रद्धा, भक्ति और एकाग्रता से करो माँ स्वयं प्रकट होंगी।” सभी देवताओं ने उस गुफा में बैठकर 11 बार स्तोत्र का पाठ किया। हवन, पुष्पार्चन और ध्यान के साथ जैसे ही अंतिम पाठ पूर्ण हुआ वहाँ की भूमि हिलने लगी, दिव्य प्रकाश फैला और वहाँ प्रकट हुईं देवी दुर्गा।
देवी ने सभी को आश्वासन दिया “हे देवगण! आप सबकी पुकार ने मुझे बाँध लिया है। यह स्तोत्र अत्यंत प्रिय है। जिसने भी संकट में, निष्ठा से इसका पाठ किया, मैं स्वयं उसकी रक्षा करूंगी।”
देवी का युद्ध और असुरों का संहार
माँ दुर्गा ने अपने रथ को सजाया, हाथों में त्रिशूल, खड्ग, धनुष, गदा लिए हुए अपने सिंह पर आरूढ़ होकर असुरों की ओर प्रस्थान किया। महिषासुर, रक्तबीज, चंड-मुंड जैसे राक्षसों की विशाल सेना उनका सामना करने निकली।
लेकिन देवी की कृपा और शक्ति से, उन सभी का विनाश हुआ। रक्तबीज जिसे मारने पर उसके रक्त से हजारों राक्षस उत्पन्न हो जाते थे माँ ने चामुंडा रूप धारण कर उसका वध किया। महिषासुर जो रूप बदलकर युद्ध कर रहा था माँ ने महाकाली रूप लेकर उसका अंत किया।
यह पढ़े: Durga Chalisa in Hindi – पाठ और पूजा विधि
स्तुति का वरदान और विश्व में प्रचार
युद्ध के पश्चात्, माँ दुर्गा ने सभी देवताओं से कहा “Shiv Krit Durga Stotra शिवजी के हृदय की गहराई से उत्पन्न हुआ है। यह केवल स्तुति नहीं, बल्कि ब्रह्माण्ड की मूल चेतना है। जो भी मनुष्य संकट के समय, श्रद्धा से इसका पाठ करेगा मैं स्वयं उसकी रक्षा करूंगी। यह स्तोत्र मेरा आवाहन मंत्र है, मेरी शक्ति का आमंत्रण है।”
तब से यह स्तोत्र,
- शत्रु नाश,
- रोग निवृत्ति,
- भय शांति,
- और देवी कृपा हेतु
विशेष रूप से पढ़ा जाने लगा।
यह पढ़े: Hanuman Chalisa Benefits – 11 चमत्कारी लाभ
कथा का गूढ़ संदेश
Shiv Krit Durga Stotra पौराणिक कथा केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक संकेत है:
- जब जीवन में संकट आता है और सभी मार्ग बंद हो जाते हैं,
- जब बाहरी साधन विफल हो जाते हैं,
- तब अंतरात्मा की गहराई से शक्ति का आह्वान करना पड़ता है।
शिव का यह स्तोत्र आत्मा से शक्ति को बुलाने का एक दिव्य माध्यम है। यह Shiv Krit Durga Stotra दर्शाता है कि आदियोगी शिव भी जब संकट में होते हैं, तो वे शक्ति की शरण में जाते हैं और वहाँ से जीवन की विजय शुरू होती है।
निष्कर्ष
“Shiv Krit Durga Stotra” की यह पौराणिक कथा हमें सिखाती है कि भक्ति, शक्ति और ज्ञान जब एक साथ आते हैं, तब असंभव भी संभव होता है। यह स्तोत्र केवल मन्त्रों का संकलन नहीं, बल्कि ईश्वर और शक्ति के मिलन का गान है।
यदि जीवन में कभी संकट आए, डर सताए, या रास्ता ना दिखे तो इस कथा को स्मरण करें और शिव द्वारा गाए गए उस स्तोत्र को आत्मा से पढ़ें। आपके भीतर ही शक्ति है बस उसे जागृत करना है।
यह भी पढ़े:
- शिव कृत दुर्गा स्तोत्र – संपूर्ण पाठ, लाभ और अर्थ
- शिव पंचाक्षर स्तोत्र – ॐ नमः शिवाय के लाभ
- रुद्राष्टक स्तोत्र – शिव की अष्ट पंक्तियों में स्तुति
- दुर्गा चालीसा – संपूर्ण पाठ और पूजा विधि
- हनुमान चालीसा – चमत्कारी लाभ और सावधानियाँ