Shiv Panchakshar Stotra – सम्पूर्ण पाठ, अर्थ और 5 चमत्कारी लाभ | ॐ नमः शिवाय स्तोत्र

Shiv Panchakshar Stotra का पाठ, अर्थ, जाप विधि, लाभ और पौराणिक कथा। जानिए ॐ नमः शिवाय मंत्र का रहस्य और शक्ति।

“ॐ नमः शिवाय” यह केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि वह दिव्य ध्वनि है जिससे सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और संहार तीनों संचालित होते हैं। शिव पंचाक्षर मंत्र, जो कि पाँच अक्षरों से बना है (न, म, शि, वा, य), भगवान शिव के परम तत्व को प्रकट करता है। यह मंत्र वैदिक परंपरा में सबसे प्राचीन और सिद्ध मंत्रों में से एक है।

Shiv Panchakshar Stotra भगवान शिव की महिमा का काव्य रूप है, जिसमें हर अक्षर का एक श्लोक के माध्यम से भावात्मक वर्णन होता है। यह स्तोत्र मंत्र और स्तुति का संगम है जो भक्त को शिव तत्व से जोड़ता है।

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पौराणिक कथा (Mythological Story)

Shiv Panchakshar Stotra की महिमा पुराणों और शास्त्रों में अनेक स्थलों पर वर्णित है। एक प्रमुख कथा शिव महापुराण से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण था जो नास्तिक और अधर्मी था। उसने कभी किसी देवता की उपासना नहीं की थी। लेकिन एक बार वह किसी पर्वत पर गया, जहाँ उसने एक संत को “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते सुना।

उस मंत्र के उच्चारण मात्र से उसके हृदय में परिवर्तन हुआ। उसने भी उस मंत्र को दोहराया। कुछ ही समय में वह मंत्र उसका जीवन बन गया। धीरे-धीरे उसके भीतर से अधर्म, क्रोध, मोह समाप्त हो गया और वह एक शिवभक्त बन गया। अंततः जब उसकी मृत्यु हुई, तो भगवान शिव स्वयं उसे लेने आए और अपने धाम ले गए। एक अन्य कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि ऐसा कौन-सा मंत्र है जिससे मनुष्य कलियुग में भी शिव की कृपा प्राप्त कर सके। तब भगवान शिव ने कहा:

“हे गौरी! Shiv Panchakshar Stotra ‘ॐ नमः शिवाय’ ही वह मंत्र है जो सभी युगों में कल्याणकारी है। जो भी इसे श्रद्धा और विश्वास से जपेगा, वह मुझे सहज ही प्राप्त करेगा।” इसी कारण यह मंत्र हर शिवभक्त के लिए जीवन का आधार बन गया है। यह न केवल मोक्षदायी है, बल्कि सांसारिक जीवन में भी शांति, शक्ति और संरक्षण देता है।

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शिव पंचाक्षर स्तोत्र – सम्पूर्ण पाठ

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मे नकाराय नमः शिवाय ॥१॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै मकाराय नमः शिवाय ॥२॥

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Shiv Panchakshar Stotra – सम्पूर्ण पाठ अर्थ सहित

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ॥1॥

अर्थ: वे भगवान शिव, साँपों का राजा जिनकी माला के रूप में है, और जिनकी तीन आँखें हैं, जिनके शरीर पर पवित्र भस्म मली हुई है और जो महेश्वर हैं, वे जो शाश्वत हैं, जो पूर्ण पवित्र हैं और चारों दिशाओं को जो अपने वस्त्रों के रूप में धारण करते हैं, उस शिव को नमस्कार, जिन्हें वर्ण “न” द्वारा दर्शाया गया है।

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय, नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय, तस्मै मकाराय नम: शिवाय ॥2॥

अर्थ: वे भगवान शिव; जिनकी पूजा मंदाकिनी नदी के जल से होती है और चंदन का लेप लगाया जाता है, वे जो नंदी के और भूतों पिशाचों के स्वामी हैं, महान भगवान, वे जो मंदार और कई अन्य फूलों के साथ पूजे जाते हैं, उस शिव को प्रणाम, जिन्हें वर्ण “म” द्वारा दर्शाया गया है।

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पूजा विधि (Shiv Panchakshar Mantra)

चरणविवरण
समयप्रातः ब्रह्म मुहूर्त (4-6 AM), या संध्या
स्थानघर का मंदिर, शिवलिंग या शांत स्थान
दिशाउत्तर या पूर्व की ओर मुख करके बैठें
मालारुद्राक्ष माला (108 दानों की)
आसनकुशासन, कम्बल, या मृगचर्म पर बैठें
आवश्यक सामग्रीजल, बेलपत्र, धूप, दीप, पुष्प, रुद्राक्ष
विधिस्नान कर, शिवलिंग या चित्र के सामने दीप जलाकर, मन में स्थिरता लाकर मंत्र का जप करें

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लाभ (Benefits of Shiv Panchakshar Stotra)

  1. मानसिक शांति: यह मंत्र मन को स्थिर करता है, चिंता और तनाव को दूर करता है।
  2. शारीरिक ऊर्जा: नियमित जप से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  3. सात्त्विक जीवन: यह मंत्र साधक को संयमित जीवन की ओर अग्रसर करता है।
  4. शिव कृपा: मंत्र के प्रभाव से शिव कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  5. पंचतत्त्व में संतुलन: न, म, शि, वा, य – इन अक्षरों से पंचतत्त्वों का साम्य बना रहता है।
  6. रोग नाश: मंत्र जाप से मानसिक व शारीरिक रोगों से राहत मिलती है।
  7. मुक्ति मार्ग: यह मंत्र साधक को मोक्ष की ओर ले जाता है।

faq

1. क्या शिव पंचाक्षर स्तोत्र का जप जीवन में तुरंत लाभ ला सकता है?

हाँ, नियमित श्रद्धापूर्वक जप करने से मानसिक शांति, ऊर्जा और संकटों से मुक्ति तुरंत मिल सकती है।

2. इस स्तोत्र के पाठ से कौन-कौन सी बाधाएं दूर हो सकती हैं?

इससे भय, नकारात्मक ऊर्जा, दुर्भाग्य और मानसिक तनाव जैसी बाधाएं दूर होती हैं।

3. क्यों आदि शंकराचार्य ने इस स्तोत्र की रचना की है?

आदि शंकराचार्य ने शिव की परम कृपा पाने हेतु इस स्तोत्र की रचना भक्तों के कल्याण के लिए की थी।

4. शिव पंचाक्षर स्तोत्र का अर्थ और इसकी शक्ति क्या है?

इस स्तोत्र में “नमः शिवाय” के पाँच अक्षरों की महिमा वर्णित है जो आत्मा को शिव से जोड़ती है।

5. मैं इसे कैसे नियमित रूप से जप कर अधिक फल प्राप्त कर सकता हूँ?

प्रातः स्नान के बाद शांत चित्त से रुद्राक्ष माला से 108 बार जप करने से अत्यंत फलदायी होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

ॐ नमः शिवाय यह Shiv Panchakshar Stotra ब्रह्मांड का मूल नाद है। यह केवल मंत्र नहीं, बल्कि एक चेतना है। यह शिव के उस रूप को दर्शाता है जो अनंत, अचल, करुणामय और विश्वरूप है। जो साधक प्रतिदिन श्रद्धा से इस मंत्र या पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है, उसके जीवन में स्थिरता, शक्ति, और आत्मिक उन्नति सुनिश्चित होती है। यह स्तोत्र केवल वाणी का उच्चारण नहीं यह हृदय की भक्ति, आत्मा की पुकार और जीवन की साधना है।

जो “ॐ नमः शिवाय” को जीवन का हिस्सा बना लेता है, उसके जीवन में स्वयं महादेव बस जाते हैं। हर सोमवार, प्रदोष, महाशिवरात्रि, और सावन के पावन दिनों पर इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

हर हर महादेव!


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