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हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को Nag Panchami 2025 का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से नाग देवता की पूजा-अर्चना के लिए जाना जाता है। वर्ष 2025 में नाग पंचमी 13 अगस्त को मनाई जाएगी, और इस दिन नाग पंचमी puja vidhi के अनुसार पूजा करने से कई शुभ फल प्राप्त होते हैं।
भारतवर्ष की सांस्कृतिक विरासत में Nag Panchami 2025 का अत्यंत पावन स्थान है। यह दिन न केवल नागों की पूजा का अवसर होता है, बल्कि यह कुंडली के राहु-केतु दोष, काल सर्प दोष, और अन्य ग्रह बाधाओं को दूर करने का उत्तम समय भी माना जाता है। यही कारण है कि यह पर्व Nag Panchami significance के रूप में धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस दिन विशेष पूजा विधि, व्रत कथा, और Nag Panchami rituals का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में सुख-समृद्धि, रोग-मुक्ति, और ग्रह शांति प्राप्त कर सकता है। साथ ही यह पर्व पर्यावरण संरक्षण, सांपों के प्रति करुणा, और पारंपरिक मान्यताओं का भी प्रतीक है।
Nag Panchami 2025 Date, Tithi, Muhurat & Panchang
Nag Panchami 2025 का पर्व 13 अगस्त 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। यह हिन्दू धर्म में नागों (सर्प देवताओं) को समर्पित एक अत्यंत पवित्र तिथि है। श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को पड़ने वाला यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक और दक्षिण भारत के कई राज्यों में पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
इस दिन सर्प देवता की पूजा कर उन्हें दूध, अक्षत, कुश, दूर्वा और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने से जीवन में राहु-केतु दोष, सर्प दोष और कालसर्प योग जैसे ग्रहदोषों से मुक्ति मिलती है।
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Nag Panchami 2025 Tithi and Muhurat
- तिथि: बुधवार, 13 अगस्त 2025
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 13 अगस्त 2025 को सुबह 06:35 AM
- पंचमी तिथि समाप्त: 14 अगस्त 2025 को सुबह 04:23 AM
- सूर्योदय: 05:49 AM
- सूर्यास्त: 07:02 PM
- चंद्रोदय: 09:32 PM
- नक्षत्र: उत्तराभाद्रपद (10:32 AM तक), फिर रेवती
- योग: धृति (04:05 PM तक), फिर शूल
- करन: बालव (06:35 AM तक), कौलव (05:30 PM तक), फिर तैतिल
- वार: बुधवार
- पक्ष: कृष्ण पक्ष
यह दिन आध्यात्मिक साधना, सांपों की सुरक्षा और प्रकृति के प्रति सम्मान प्रकट करने का प्रतीक है। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनके लिए Nag Panchami का दिन विशेष मुहूर्त लेकर आता है। इस दिन किया गया विशेष नाग दोष निवारण पूजन अत्यंत फलदायी माना जाता है।
Nag Panchami का धार्मिक महत्व और पौराणिक कथा
Nag Panchami का पर्व केवल एक सांपों की पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की गहराई, प्रकृति प्रेम और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सर्प सिर्फ डर या विनाश का नहीं, बल्कि रक्षा, शक्ति और दिव्यता का भी प्रतीक हैं। हिन्दू धर्म में नागों को दिव्य, शक्तिशाली और पूजनीय माना गया है। विशेषकर श्रावण मास में जब वर्षा ऋतु अपने चरम पर होती है और ज़मीन के अंदर के जीव-जंतु बाहर आते हैं, तब नाग देवता की पूजा कर हम प्रकृति के इस चक्र को सम्मान देते हैं।
धार्मिक महत्व
- शिव जी के गले में वासुकि नाग विराजमान हैं, जो उनके अभेद्य रक्षक माने जाते हैं।
- श्रीकृष्ण द्वारा कालिया नाग का दमन इसी दिन की स्मृति में मनाया जाता है।
- कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष, राहु-केतु पीड़ा या शत्रु बाधा को शांत करने के लिए नाग पंचमी का दिन अत्यंत शुभ माना गया है।
- नाग देवता को भूमि के रक्षक, जल तत्व के स्वामी और गुप्त ज्ञान के अधिष्ठाता कहा गया है।
इस दिन मिट्टी या चांदी से बने नाग देवता की पूजा कर दूध, चंदन, कुश, पुष्प और धूप अर्पित की जाती है। महिलाएं घर के दरवाजों और दीवारों पर गोबर से सर्प की आकृति बनाकर पूजा करती हैं।
पौराणिक कथा
पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, जनमेजय (राजा परीक्षित के पुत्र) ने जब अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने हेतु सर्प यज्ञ (सर्पमेध यज्ञ) किया, तब असंख्य नाग उसमें जलने लगे। नागों के राजा तक्षक की जान बचाने के लिए आस्तिक मुनि ने यज्ञ को रोकने का प्रयास किया। जब यज्ञ नहीं रुका, तो उन्होंने श्रीहरि विष्णु की स्तुति की और यज्ञ थमा।
इस घटना के बाद से नागों की रक्षा हेतु पंचमी तिथि को नाग पूजन की परंपरा शुरू हुई।
यह कथा न केवल सांपों की महत्ता दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि क्रोध और प्रतिशोध की अग्नि में कभी-कभी निर्दोष भी जलते हैं, और क्षमा व करुणा का मार्ग ही धर्म का मार्ग होता है।
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Nag Panchami Puja Vidhi और विशेष मंत्र
Nag Panchami 2025 का पर्व 13 अगस्त (बुधवार) को मनाया जाएगा। यह दिन राहु-केतु के दुष्प्रभाव को शांत करने, कालसर्प दोष से मुक्ति और संतान, स्वास्थ्य व समृद्धि की कामना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन की गई पूजा-विधि और मंत्र जाप विशेष फलदायी मानी जाती है।
पूजन की सामग्री:
- नाग देवता की प्रतिमा (मिट्टी, धातु या चित्र)
- दूध, कच्चा दूध, चंदन, धूप
- पुष्प, दूर्वा (घास), अक्षत
- कुशा, रोली, हल्दी
- सुपारी, लौंग, इलायची
- फल, मिठाई, जल से भरा कलश
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर)
Nag Panchami Puja Vidhi Step-by-Step :
- स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें और घर के मंदिर को साफ़ करें।
- पूजा स्थल पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- कलश की स्थापना करें और उसके ऊपर नारियल रखें।
- नाग देवता को दूध, जल, चंदन, फूल, अक्षत, कुशा आदि अर्पित करें।
- धूप-दीप से आरती करें और विशेष मंत्रों का जाप करें।
- सर्पों के लिए मीठा दूध व चावल बाहर किसी सुरक्षित स्थान पर रखें, यह भी एक श्रद्धा का भाव माना जाता है।
- व्रत कथा और पूजा समाप्ति के बाद दान अवश्य करें ब्राह्मणों को वस्त्र, भोजन या दक्षिणा देना उत्तम माना गया है।
विशेष मंत्र (Nag Panchami Mantra)
1. नाग पूजा मंत्र:
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
2. कालसर्प दोष निवारण मंत्र
ओम क्रौं नमो अस्तु सर्पेभ्यो कालसर्प शांति कुरु कुरु स्वाहा
ओम नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नम:
Nag Panchami Remedies for Rahu-Ketu
- नाग पंचमी के दिन शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाएं राहु दोष की शांति होती है।
- केतु के दोष से मुक्ति के लिए नागदेव की प्रतिमा पर दूध और कुशा अर्पित करें।
- यदि कालसर्प योग है, तो नाग पंचमी के दिन “कालसर्प शांति मंत्र” का जाप करें।
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Nag Panchami Katha, Rahasya aur Maanitayein
Nag Panchami 2025, जो 13 अगस्त को मनाई जाएगी, सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि हजारों वर्षों से चली आ रही उन कथाओं, मान्यताओं और रहस्यों की परंपरा है जो भारतीय संस्कृति को गहराई से दर्शाती है। यह दिन न केवल नाग देवताओं की पूजा का है, बल्कि राहु-केतु के दोष, कालसर्प योग जैसी ज्योतिषीय बाधाओं को शांत करने के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है।
पुराणों में वर्णित प्रमुख कथा
नाग पंचमी से जुड़ी सबसे प्रमुख कथा राजा जनमेजय की है। कहा जाता है कि राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के विष से हो गई थी। अपने पिता की मृत्यु से क्रोधित होकर जनमेजय ने सर्प यज्ञ (सर्पमेध) करवाया, जिससे समस्त नाग वंश को समाप्त किया जा सके।
जब यह यज्ञ अपने चरम पर था और हजारों नाग अग्नि में गिरने लगे, तब आस्तिक मुनि, जो एक नाग माता (मनसा देवी) और ब्राह्मण पिता के पुत्र थे, उन्होंने जनमेजय को यज्ञ रोकने की प्रार्थना की। पहले राजा ने इनकार किया, लेकिन जब मुनि ने भक्ति, नीति और धर्म का उपदेश दिया, तो यज्ञ रोका गया।
उस दिन पंचमी तिथि थी, तभी से यह दिन नागों की रक्षा और पूजा के लिए समर्पित किया गया।
नागों से जुड़े रहस्य और प्रतीकात्मकता
भारतीय दर्शन में नाग केवल भय या विष के प्रतीक नहीं हैं, वे हैं:
- ज्ञान (कुंडलिनी ऊर्जा) के रक्षक
- शक्ति और रहस्य के प्रतीक
- मूलाधार चक्र से जुड़े, आध्यात्मिक ऊर्जा के वाहक
भगवान शिव, विष्णु, गणेश, और शेषनाग – इन सभी के साथ नागों का गहरा संबंध है। शिव के गले में वासुकि नाग, विष्णु के शेषनाग पर शयन करना, यह दर्शाता है कि सर्प ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रतीक हैं।
लोक परंपराएं और मान्यताएं
भारत के अलग-अलग हिस्सों में नाग पंचमी को अलग तरीके से मनाया जाता है:
- महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश में गोबर या मिट्टी से नाग आकृति बनाकर पूजा की जाती है।
- उत्तर भारत में महिलाएं दीवारों पर नाग चित्र बनाकर दूध, लड्डू और फूल अर्पित करती हैं।
- कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में नाग मंदिरों में विशेष नाग पूजा और आरती होती है।
- मान्यता है कि इस दिन खेत में हल नहीं चलाना चाहिए, ताकि भूमि में छिपे नागों को नुकसान न हो।
श्रद्धा से जुड़ी मान्यता
मान्यता है कि जो व्यक्ति नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करता है, उसे राहु-केतु की बाधा, कालसर्प दोष, और संतान-सुख की रुकावटों से मुक्ति मिलती है। यह दिन विशेषकर उन लोगों के लिए भी उत्तम होता है जो अपने जीवन में रुके हुए कार्य, कर्ज, या शत्रु बाधा से परेशान हैं।
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Nag Panchami ke Jyotish Upay aur Totke
Nag Panchami 2025, जो इस वर्ष 13 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी, एक ऐसा दिन है जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में Rahu-Ketu दोष, Kaal Sarp Yog, या शत्रु बाधा हो उनके लिए यह दिन विशेष रूप से उपयुक्त है।
भारत में कई परिवारों में पीढ़ियों से चली आ रही मान्यता है कि नाग पंचमी पर किए गए टोटके, शत्रु नाश, रोग मुक्ति, और धन प्राप्ति में अत्यंत प्रभावशाली होते हैं। इस दिन किये गए सरल से उपाय भी तेजी से असर दिखाते हैं, यदि उन्हें श्रद्धा और विधि से किया जाए।
Nag Panchami Ke Jyotish Upay
1. Rahu-Ketu Dosha Nivaran Mantra Jaap
कुंडली में यदि राहु और केतु अशुभ स्थान पर हैं या कालसर्प दोष है, तो इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ केतवे नमः” का 108 बार जाप करें।
2. Nag Devta ko Dugdh Abhishek
किसी नाग मंदिर में जाकर शिवलिंग या नाग प्रतिमा पर दूध, चंदन, बेलपत्र और पुष्प चढ़ाएं। इससे राहु-केतु शांति होती है और मानसिक क्लेश दूर होते हैं।
3. काले तिल और कुश का दान
नदी किनारे जाकर काले तिल और कुश का दान करने से पूर्वज दोष समाप्त होते हैं और घर में सुख-शांति आती है।
4. Nag Panchami Remedies for Enemy Trouble
अगर शत्रु बाधा या कोर्ट-कचहरी में उलझन हो तो पीले वस्त्र पहनकर शिवलिंग पर हल्दी और नाग केसर चढ़ाकर ‘ॐ बगलामुखी नमः’ का 21 बार जाप करें।
नाग पंचमी के प्रभावशाली टोटके
धन प्राप्ति हेतु: पीले कपड़े में चावल, हल्दी, और 5 कौड़ियां बांधकर तिजोरी में रखें और नाग देवता से प्रार्थना करें “हे नाग देव, मेरे जीवन में समृद्धि और सुरक्षा लाओ।” यह Nag Panchami remedies for wealth में सबसे लोकप्रिय है।
संतान सुख के लिए: नाग पंचमी के दिन शिव मंदिर में नाग-नागिन की जोड़ी चढ़ाकर संतान सुख की प्रार्थना करने से लाभ मिलता है। यह उपाय Nag Panchami vrat story में भी वर्णित है।
रोग मुक्ति हेतु: दूध में थोड़ा सा शहद मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं और “ॐ नागराजाय नमः” मंत्र का 11 बार जाप करें। इससे चर्म रोग, डर और बुरे स्वप्न दूर होते हैं।
सावधानियां
- नाग पंचमी के दिन किसी भी नाग या सर्प को नुकसान न पहुंचाएं।
- जमीन की खुदाई या खेत में हल चलाना वर्जित माना गया है।
- दूध से नाग की मूर्ति या शिवलिंग पर धीरे-धीरे जल अर्पण करें, उबालकर नहीं।
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Nag Panchami Pooja Tips aur Do’s & Don’ts
Nag Panchami 2025 का पर्व 13 अगस्त को श्रद्धा, आस्था और परंपरा के साथ मनाया जाएगा। इस दिन की pooja vidhi, अगर सही ढंग से और शुद्धता से की जाए, तो यह न केवल धार्मिक लाभ देती है बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी Rahu-Ketu की शांति, Kaal Sarp Yog निवारण, और mantra siddhi के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
इस सेक्शन में हम आपको बताएंगे Nag Panchami puja tips, जरूरी do’s and don’ts, और कैसे इस दिन को बिना किसी गलती के शुद्धता से मनाया जाए।
Do’s (क्या करें)
1. प्रातः काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें:
श्रद्धा से व्रत का संकल्प लें और Nag Panchami mantra का जाप करें जैसे “ॐ नागदेवाय नमः” या “ॐ फणिनाथाय नमः”।
2. नाग देवता की प्रतिमा स्थापित करें:
मिट्टी या चांदी से बनी नाग देवता की मूर्ति को चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। उन पर दूध, हल्दी, कुश, चंदन और पुष्प चढ़ाएं।
3. Nag Panchami vrat story का पाठ करें:
पूजा के बाद नाग पंचमी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। इससे व्रत पूर्ण माना जाता है।
4. घर के दरवाज़ों पर गोबर से नाग की आकृति बनाएं:
यह पारंपरिक अभ्यास है, जो negative energy को दूर करता है और घर की रक्षा करता है।
5. श्रावण मास के कारण भगवान शिव की पूजा अवश्य करें:
Nag Panchami significance शिव पूजा से भी जुड़ा है क्योंकि उनके गले में वासुकि नाग हैं।
Don’ts (क्या न करें)
1. इस दिन खेत जोतना या जमीन की खुदाई न करें:
मान्यता है कि इससे सर्पों की शांति भंग होती है, जिससे दोष लग सकते हैं।
2. नाग देवता को लोहे के पात्र में दूध न चढ़ाएं:
कांसे, तांबे या मिट्टी के पात्र ही शुभ माने जाते हैं।
3. किसी भी प्रकार का जीव हत्या या हानि न करें:
विशेषतः सांप या अन्य सर्प प्रजातियों को नुकसान पहुंचाना अशुभ होता है।
4. नाग पंचमी पर मांसाहार, शराब, या तामसिक भोजन से बचें:
शुद्धता और सात्त्विकता बनाए रखें।
5. पूजा के समय कोई अपशब्द या अशुद्ध वाणी न बोलें:
शब्दों में शक्ति होती है। इसलिए पूजा के दौरान मानसिक और वाणी की पवित्रता जरूरी है।
FAQ’s
1. Nag Panchami 2025 kab hai aur iska shubh muhurat kya hai?
उत्तर: इस वर्ष Nag Panchami 13 अगस्त 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।
2. Nag Panchami vrat kaise rakha jata hai?
उत्तर: व्रती को सुबह स्नान करके संकल्प लेना चाहिए। Nag Panchami mantra जपते हुए नाग देवता की पूजा करें।
3. Nag Panchami ke din kya karna chahiye aur kya nahi?
उत्तर: सर्प देवता को दूध अर्पित करें, व्रत कथा का पाठ करें ( क्या न करें: जमीन की खुदाई या खेत जोतना, सर्पों को नुकसान पहुंचाना
4. Nag Panchami se kaunse grah shant hote hain?
उत्तर: ज्योतिष अनुसार Nag Panchami puja से Rahu-Ketu ke dosh, Kaal Sarp Yog, और पितृ दोष की शांति होती है। यह दिन grah peeda को कम करने के लिए अत्यंत शुभ है।
5. Nag Panchami story ka kya importance hai?
उत्तर: यह कथा राजा जनमेजय द्वारा किए गए सर्प यज्ञ और आस्तिक मुनि के हस्तक्षेप की है। इससे यह संदेश मिलता है कि क्षमाशीलता, संतुलन और प्रकृति का सम्मान ही धर्म है। यह कथा इस व्रत के spiritual significance को उजागर करती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Nag Panchami 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, आस्था, और प्राकृतिक संतुलन का प्रतीक है। यह दिन हमें नागों के प्रतीकात्मक रूप में ऊर्जा, रक्षा और आध्यात्मिक ज्ञान की पूजा करने का अवसर प्रदान करता है। इस पर्व के माध्यम से हम न केवल नाग देवता का पूजन करते हैं, बल्कि अपने जीवन में फैले Rahu-Ketu दोष, Kaal Sarp Yog, और अन्य नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति का मार्ग भी तलाशते हैं।
13 अगस्त 2025 को जब Panchami Tithi का शुभ संयोग होगा, तब Nag Panchami puja vidhi, mantra, और vrat story के माध्यम से व्यक्ति को आध्यात्मिक बल मिलता है। साथ ही, घर में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।